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GST New Rate : 22 सितंबर तक घट जाएंगे साबून-तेल, टीवी-फ्रीज से लेकर गाड़ियों तक के दाम? यहां जानिए

GST New Rate : केंद्र सरकार ने करीब 400 वस्‍तुओं और सेवाओं पर जीएसटी (GST) दरों में बड़ी कटौती कर दी है. जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू होगी. खाने-पीने के सामान से लेकर रोजमर्रा की चीज़ें, इलेक्ट्रॉनिक्स, गाडियां और बीमा सस्ते हो जाएंगे. सरकार चाहती है कि इस कटौती का लाभ सीधे आम जनता तक पहुंचे और जीएसटी कटौती का असर 22 सितंबर को दिखना लग जाए. लेकिन, सवाल यह है कि आने वाले 17 दिनों में लोगों को जीएसटी में कमी का फायदा देने के लिए कंपनियां और दुकानदार कितने तैयार हैं और वो कैसे इसे आम आदमी तक पहुंचाएंगे?
यह प्रश्‍न इसलिए उठ रहा है क्‍योंकि पहले ही हजारों टन पुराना माल दुकानों और गोदामों तक पहुंच चुका है, जिन पर पुरानी दर का टैग लगा हुआ है. ऐसे में कंपनियों और दुकानदारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे दाम कैसे घटाएं और उपभोक्ताओं को इसका सीधा लाभ कैसे दें.

जीएसटी ढांचे की पेचीदगी
जीएसटी सिस्टम ऐसा है कि किसी सामान पर टैक्स उत्पादन और वितरण के हर चरण में लगता है. कंपनियां कच्चे माल पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट ले लेती हैं. लेकिन जैसे ही सामान बनकर डीलर या दुकानदार को बिलिंग के साथ भेज दिया जाता है, उस समय का जीएसटी दर ही तय हो जाता है. यानि 22 सितंबर से पहले भेजे गए सामान पर पुरानी दर का ही टैग और दाम होगा. अब उसी माल को घटे हुए दाम पर बेचने के लिए कंपनियों, वितरकों और दुकानदारों को आपसी समन्वय करना होगा.
कंपनियों कैसे करेगी फायदा पास ऑन
इसका पहला तरीका है कीमतों का समायोजन यानी प्राइस एडजेस्‍टमेंट (Price Adjustment). कंपनियां पुरानी दर वाले माल के लिए डीलरों को क्रेडिट नोट देंगी. उदाहरण के लिए, अगर किसी डीलर ने साबुन का एक कार्टन पुराने टैक्स पर खरीदा है और अब उसकी कीमत घट गई है, तो कंपनी उसे बराबर का क्रेडिट देगी. इससे डीलर नुकसान में नहीं रहेगा और ग्राहकों को सस्ता दाम मिल सकेगा.
सॉफ्टवेयर और बिलिंग अपडेट
बड़ी रिटेल चेन जैसे बिग बाजार, रिलायंस या डीमार्ट जैसी कंपनियों के पास तकनीकी सिस्टम हैं. ये अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर और पॉइंट-ऑफ-सेल मशीनों को तुरंत अपडेट कर सकती हैं. 22 सितंबर से इनके बिल पर सीधे नए रेट दिखाई देंगे. हालांकि छोटे किराना और मोहल्ले की दुकानों को यह बदलाव करने में थोड़ी मुश्किल होगी, क्योंकि उनके पास उतना तकनीकी ढांचा नहीं है.
नई स्टिकरिंग और पैकिंग
साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट जैसे उत्पादों पर नई एमआरपी (MRP) वाली स्टिकर चिपकाई जाएगी. कंपनियों ने टीम लगाई हैं जो गोदाम और दुकानों में जाकर पुराने पैक पर नई कीमत की स्टिकर लगाएंगे. कई कंपनियां ट्रेड स्कीम्स और प्रमोशन को फिर से तय कर रही हैं. हो सकता है कि कुछ जगह कीमत घटाने की बजाय पैक का वजन बढ़ा दिया जाए. जैसे, 10 रुपये वाले बिस्किट पैक में पहले से ज्यादा बिस्किट मिल सकते हैं.
किन-किन क्षेत्रों में असर दिखेगा
रोजमर्रा के सामान (FMCG): नमकीन, बिस्किट जैसे तय दाम वाले पैक में वजन बढ़ेगा. वहीं शैंपू, साबुन, टूथपेस्ट जैसी चीज़ों पर सीधे नए दाम चिपका दिए जाएंगे. दुकानदारों को कंपनी से रेट डिफरेंस का क्रेडिट मिलेगा.
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स : इन पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है. कंपनियां कह रही हैं कि त्योहारी सीजन में बिक्री तेज होगी. उदाहरण के लिए, पहले 20,000 रुपये का एसी पर 5,600 रुपये टैक्स लगता था, अब 3,600 रुपये लगेगा. 2,000 रुपये का सीधा फायदा उपभोक्ता को मिलेगा.
होटल और हवाई यात्रा: 7,500 रुपये प्रति रात से कम वाले होटल रूम अब 12% की बजाय 5% जीएसटी पर मिलेंगे. लेकिन फायदा सिर्फ उन ग्राहकों को होगा जो होटल पर पहुंचकर पेमेंट करेंगे. पहले से बुक और पेमेंट किए कमरे पर पुरानी दर ही लागू होगी. हवाई यात्रा में उल्टा असर है. प्रीमियम इकोनॉमी, बिजनेस और फर्स्ट क्लास टिकट पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है.
बीमा (Insurance): हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी अब पूरी तरह जीएसटी से मुक्त होंगी. इसका मतलब है कि उपभोक्ता को 18% की सीधी बचत होगी. हालांकि कंपनियां प्रीमियम घटाने की बजाय अतिरिक्त सुविधाएं जैसे पर्सनल एक्सीडेंट कवर या ज्यादा अस्पतालों में कैशलेस सुविधा दे सकती हैं.
ऑटो सेक्टर: यह क्षेत्र फिलहाल थोड़ी परेशानी में है. पीएम मोदी के 15 अगस्त वाले भाषण के बाद से डीलरों ने भारी स्टॉक जमा कर लिया था. अब दरें घटने से पुराने स्टॉक पर उन्हें नुकसान हो रहा है. जैसे पहले जिस कार पर 50% टैक्स लगता था, अब 40% लगेगा. लेकिन डीलर ने पहले ही पुराना टैक्स भर दिया है, उसका रिफंड नहीं मिलेगा.

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