लोकसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा विधानसभा चुनाव में अलग राह पकड़ती दिख रही है। यह बात भी कहीं न कहीं स्पष्ट हो रही है कि मरांडी को हेमंत सोरेन का नेतृत्व स्वीकार नहीं है। दूसरी ओर, हेमंत भी JVM को साथ लेकर चलने के मूड में नहीं हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि झाविमो के विधायक आसानी से भाजपा में चले जाते हैं और इससे विपक्ष कमजोर होता है।
बुधवार से बिना JVM के गठबंधन के स्वरूप पर चर्चा शुरू हुई है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह JMM के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मिलने पहुंचे और प्राथमिक तौर पर हेमंत को नेता मानते हुए उन्हें दलों से बातचीत को कहा गया है। वामपंथी पार्टियों से झामुमो बात करेगा और राजद से कांग्रेस। कांग्रेस अब सबको साथ लेकर चलने की जिद को छोड़ती दिख रही है। इस बीच, विपक्षी दलों की बैठकों से झाविमो लगातार अनुपस्थित चल रहा है।
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. इरफान अंसारी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में सीनियर नेताओं की अनदेखी न की जाए। सीनियर और अनुभवी नेताओं के मशविरे से पार्टी बढ़े तो जीत तय है। उन्होंने प्रदीप बलमुचू, चंद्रशेखर दुबे, रामेश्वर उरांव और फुरकान अंसारी को हर हाल में चुनाव लडऩे की बात कही। लगे हाथ फुरकान अंसारी के लिए मधुपुर सीट की मांग भी कर ली। कहा कि मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए हेमंत सोरेन को दिल बड़ा करते हुए निर्णय लेना होगा। यह सीट कांग्रेस जीतेगी तो हेमंत को ही लाभ होगा।