राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने पावर कार्पोरेशन विभाग के पी.एफ. घोटाले में प्रदेश सरकार की संलिप्तता उजागर करते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री अपना दामन पाक साफ दिखाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि यदि मान भी लिया जाय कि नई सरकार के गठन के पूर्व ही तत्कालीन एम.डी. द्वारा 21 करोड का आर.टी.जी.एस. कर दिया गया था फिर भी उनका स्वयं और प्रदेश सरकार का दामन साफ नहीं हो सकता है।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि नई सरकार के गठन होते ही सभी विभागों के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष विभागीय प्रजेन्टेशन रखा था। क्या प्रेजेन्टेशन रखते समय यह छिपा लिया गया कि 21 करोड का भुगतान डी.एच.एफ.एल. को करने में तत्कालीन एम.डी. ने सारे नियम ताक पर रख दिए थे। अथवा जानबूझ कर इस तथ्य की अनदेखी किसी स्वार्थवश की गई।
बीजेपी सरकार के गठन बाद एम.डी. के पूर्व सरकार द्वारा दिये गये सेवा विस्तार को तो खत्म कर दिया गया। लेकिन डी.एच.एफ.एल. का निरन्तर भुगतान होता रहा। जिसको समाप्त करने अथवा पूर्व में किये गये भुगतान का लेखा जोखा समझने तक रोक भी नहीं लगाई गई और न ही किसी प्रकार की जानकारी कर्मचारियों को दी गई। जिनके खून पसीने की कमाई की लूट बीजेपी शासन में की गई।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि, पॉवर कार्पोरेशन के वर्तमान चेयरमैन को भी गिरफ्तार करने की आवश्यकता है क्योंकि वह ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं और उनकी संलिप्तता के बिना इतना बड़ा घोटाला सम्भव नहीं है। यदि उन्हें पद पर बनाये रखा जाता है तो सबूतों से छेड़छाड़ सम्भव है और निष्पक्ष जांच की खानापूर्ती ही होगी। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग करते हुये कहा कि तत्काल ऊर्जा मंत्री को बर्खास्त करके उन्हें दण्डित करने के साथ ही साथ विद्युत कर्मचारियों की समस्त धनराशी की गारण्टी दें ताकि उनका मानसिक संतुलन हो सके। सरकार द्वारा सम्पूर्ण घटना पर श्वेत पत्र भी जारी किया जाय ताकि तिथिवार विवरण की जानकारी हो सके।