कोरोना (Coronavirus) संकट और बाढ़ (Bihar Flood) के कारण निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ राज्यों में एक लोकसभा एवं 7विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव स्थगित किए जाने के बाद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) के समय को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। इसी विषय पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी (S.Y. Quraishi) से सवाल पूछे गए तो उन्होंने अपने जवाब में सभी अटकलों को दरकिनार करते हुए सबकुछ साफ कर दिया है।
कुछ चुनावों के आगे बढ़ने पर उन्होने जवाब दिया की उप चुनाव और आम चुनाव में फर्क होता है। विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव निश्चित समयसीमा में कराना अनिवार्य है, क्योंकि यह संवैधानिक जरूरत है। बिहार में 27 नवंबर तक चुनाव होना है। एक-दो सीटें खाली रहती हैं तो वहां चुनाव टालने से कोई संवैधानिक संकट नहीं आता। ऐसे में बिहार चुनाव नहीं टाला जा सकता।
उनका कहना है की संविधान के तहत चुनाव को समयसीमा के बाद टालने का सिर्फ एक कारण हो सकता है, जो आपातकाल है। यह आपातकाल दो वजहों से हो सकता है। एक वजह विदेशी आक्रामण है, और दूसरी वजह घरेलू बगावत की स्थिति। फिलहाल ऐसे हालात तो हैं नहीं. कोविड-19 का संकट आपातकाल की इस परिभाषा में नहीं आता है. वैसे भी कोविड-19 सिर्फ हिंदुस्तान में तो नहीं है। यह दुनियाभर में है. पिछले चार महीनों में 33 देशों में चुनाव हुए हैं। सब जगह से फीडबैक है कि चुनाव अच्छी तरह हुए, कोई दिक्कत नहीं आई। पोलैंड और दक्षिण कोरिया में तो मत प्रतिशत बहुत ज्यादा रहा। अगर पोलैंड और दक्षिण कोरिया चुनाव करा सकते हैं तो भारत क्यों नहीं करा सकता? चुनाव कराने के मामले में भारत तो विश्वगुरू है।
उन्होने आगे कहा की,”मुझे हैरानी है कि विपक्ष कह रहा है कि चुनाव स्थगित करो। विपक्ष का बयान तो इसके उलट होना चाहिए। विपक्ष का प्रयास यह होता है कि जल्द चुनाव हों और वह जीतकर सत्ता में आए। यह बात सच है कि कोरोना वायरस के कारण हालात गंभीर हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि चुनाव को स्थगित करना पड़ेगा। 27 नवंबर तक चुनाव कराना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है”।