‘डूम्सडे क्लॉक’: प्रलय अब केवल 100 सेकंड दूर

क्या दुनिया परमाणु युद्ध के खतरे के और नजदीक पहुंच गई है? क्या मानवता पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है? अगर दुनिया के परमाणु वैज्ञानिकों की माने तो इस बात की आशंका बहुत ज्यादा है। ‘डूम्सडे क्लॉक’ (प्रलय की घड़ी) में अब आधी रात का वक्त होने में 100 सेकंड से भी कम का समय बचा हुआ है। इस घड़ी में आधी रात का का वक्त होने में जितना कम समय रहेगा दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा उतना ही नजदीक होगा। 1947 से ही काम कर रही इस घड़ी ने दुनिया में बढ़ रहे युद्ध के खतरे से आगाह किया है।

‘डूम्सडे क्लॉक’ का यह आकलन युद्धक हथियारों, विध्वंसकारी तकनीक, फेक विडियो, ऑडियो, अंतरिक्ष में सैन्य ताकत बढ़ाने की कोशिश और हाइपरसोनिक हथियारों की बढ़ती होड़ से मापा गया है। एक वैज्ञानिक ने कहा, ‘हम देख पा रहे हैं कि दुनिया तबाही के कितनी नजदीक पहुंच गई है। तबाही का पल अब मिनट और घंटे की बात नहीं, बल्कि सेकंड के करीब तक पहुंच गई है।’

‘डूम्सडे क्लॉक’ का फैसला 13 नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों के पैनल ने लिया है। शुरू में इस घड़ी को पहले मध्य रात्रि के 7 मिनट पहले सेट किया गया था। पिछली बार प्रलय के करीब पहुंचने का पल 2018-19 और 1953 में आया था, जब इसे मध्य रात्रि के 2 मिनट पहले सेट किया गया था। 1991 में कोल्ड वॉर खत्म होने के बाद इसे मध्य रात्रि के 17 मिनट पहले तक वक्त सेट किया गया था।

डूम्सडे क्लॉक एक सांकेतिक घड़ी है जो मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की आशंका को बताती है। घड़ी में मध्यरात्रि 12 बजने को भारी तबाही का संकेत माना जाता है। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए हमले के बाद वैज्ञानिकों ने मानव निर्मित खतरे से विश्व को आगाह करने के लिए इस घड़ी का निर्माण किया गया था। इस घड़ी में मध्य रात्रि के 12 बजने के मायने हैं कि दुनिया का अंत बेहद नजदीक है, या दुनिया में परमाणु हमला होने की आशंका 100 प्रतिशत है।

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