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Delhi MCD Election: दिल्ली नगर निगमों का विलय क्यों; किसे होगा फायदा? जानें BJP की क्या है प्लानिंग

Delhi MCD Election 2022: एमसीडी चुनाव (Delhi MCD Election) से ठीक पहले केंद्र की मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय संबंधी विधेयक (MCD reunification Bill) को मंगलवार को मंजूरी दे दी. माना जा रहा है कि इस बिल को संसद की मंजूरी मिलने से केंद्र को फंडिंग के विकल्प मिल जाएंगे. इतना ही नहीं, भाजपा इस प्रस्ताव से सियासी हित भी साधने में जुटी है. माना जा रहा है कि तीनों एमसीडी के विलय संबधित इस विधेयक में दिल्ली सरकार और नगर निकायों के बीच धन के हस्तांतरण के प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र से सीधे वित्त पोषण के प्रावधान स्पष्ट रूप से परिभाषित होने की संभावना है.

एमसीडी चुनाव (Delhi MCD Election) से ठीक पहले केंद्र की मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय संबंधी विधेयक (MCD reunification Bill) को मंगलवार को मंजूरी दे दी. माना जा रहा है कि इस बिल को संसद की मंजूरी मिलने से केंद्र को सीधे फंड देने के विकल्प मिल जाएंगे, साथ ही एमसीडी को भी फंड संकट से नहीं जूझना पड़ेगा. इतना ही नहीं, भाजपा इस प्रस्ताव से सियासी हित भी साधने में जुटी है. माना जा रहा है कि तीनों एमसीडी के विलय संबधित इस विधेयक में दिल्ली सरकार और नगर निकायों के बीच धन के हस्तांतरण के प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र से सीधे वित्त पोषण के प्रावधान स्पष्ट रूप से परिभाषित होने की संभावना है.

मौजूदा वक्त में भाजपा शासित दिल्ली नगर निकाय और आम आदमी पार्टी की सरकार फंडिंग को लेकर आमने-सामने हैं. ऐसे कई मौके आए हैं, जहां दोनों फंड को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं. एमसीडी का कहना है कि दिल्ली सरकार उसके फंड का उचित हिस्सा नहीं देती है. हालांकि, आम आदमी पार्टी का आरोप है कि नगर निकायों के पास फंड की कमी का कारण भ्रष्टाचार है. यही वजह है कि आर्थिक संकट के कारण कर्मचारी पिछले पांच वर्षों में 50 से अधिक बार हड़ताल पर गए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के कहा कि बजट सत्र में पेश किए जाने वाले विधेयक में इस प्रावधान के भी होने की संभावना है, जिसमें केंद्र के माध्यम से एमसीडी को धन जुटाने का अधिक अवसर मिल पाएगा. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि मौजूदा स्लैब में भी दिल्ली सरकार के लिए एमसीडी के हिस्से का भुगतान करना बाध्यकारी हो सकता है.

फिलहाल, केंद्र केवल स्वच्छ भारत जैसी कुछ योजनाओं के तहत ही सीधे धन दे सकता है, मगर इसका उपयोग एमसीडी के दैनिक कामकाज के लिए नहीं किया जा सकता है. भाजपा नेता ने कहा कि इस बदलाव से पार्टी को जनता के बीच यह संदेश देने में मदद मिलेगी कि अगर उनकी पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो उनके पास फंड संकट को ठीक करने का प्लान तैयार है.

दिल्ली भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ऐसी स्थिति से भी बचना चाहती है जहां लोगों को लगता है कि राज्य और नगर निकाय दोनों पर आम आदमी पार्टी का नियंत्रण होने से नगर निकाय का कामकाज सुचारू रूप से चलेगा. पार्टी नेता ने कहा कि इसलिए हमने सीनियर नेतृत्व से प्रावधानों को बदलने के बारे में सोचने के लिए कहा था. अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी व्यवस्था पहले से मौजूद है. पार्टी द्वारा जिन सुधारों पर विचार किया जा रहा है उनमें मेयर का प्रत्यक्ष चुनाव और उनके कार्यकाल को मौजूदा एक वर्ष के बजाय कम से कम ढाई वर्ष तक बढ़ाया जाना है.

बता दें कि भाजपा ने 2017 के चुनावों में 270 में से 181 वार्डों में जीत हासिल की थी और प्रत्येक निगम में पूर्ण बहुमत हासिल किया था. आप नीत दिल्ली सरकार और भाजपा नीत नगर निगमों के बीच पिछले कई मौकों पर तनातनी हो चुकी है. दिल्ली के तीनों नगर निगमों के 272 वार्ड के लिए चुनाव अप्रैल में होने हैं लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक इस संबंध में कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया है. चुनाव आयोग ने स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा टाल दी है. कार्यक्रम की घोषणा नौ मार्च को ही होनी थी. हालांकि इसे लेकर भाजपा और अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी के बीच वाक युद्ध चल रहा है.

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