मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आर्थिक सुस्ती को दूर करने में उनकी सरकार केंद्र को पूरा सहयोग देगी। अगर जल्द अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो इसका असर राजस्व को जुटाने पर पड़ सकता है। कर संग्रहण कम हो सकता है। वह एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) द्वारा आयोजित व्यापारी व उद्यमी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस बार के चुनाव में अर्थव्यवस्था की सुस्ती चुनावी मुद्दा बन सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भी व्यापारी वर्ग से आते हैं। उन्हें पता है कि किस तरह व्यापारी को ग्राहक, स्टॉकिस्ट, नेता, अधिकारी समेत अन्य से संतुलन बैठाकर चलना पड़ता है। इसलिए जब वह सत्ता में आए तो सबसे पहले व्यापारियों के रास्ते में आ रही समस्याओं को खत्म करने में लग गए। छापेमारी के राज को सबसे पहले बंद कराया। इसके बाद वैट दरों में कटौती की। इसी तरह बिजली, पानी मुफ्त कराया। अब महिलाओं के लिए बसों में यात्र मुफ्त होने जा रही है। इसका फायदा व्यापारी वर्ग को भी मिलेगा। केजरीवाल ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है।
उम्मीद है कि इसमें जल्द ही सुधार होना शुरू हो जाएगा। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जो भी कदम उठाएगी राज्य सरकार पूरा सहयोग करेगी। इस मौके पर उन्होंने अगले 4-5 सालों में दिल्ली के सभी घरों में 24 घंटे पानी पहुंचाने के वादे के साथ ही बिजली कटौती से निजात, डेंगू और प्रदूषण में कमी जैसी उपलब्धियां भी गिनाईं।
सीटीआइ के तीन साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में 27 उद्यमी, व्यापारी, समाजसेवी व महिला कारोबारियों को नवरत्न के सम्मान से भी नवाजा गया। यह सम्मान मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ ही उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के साथ महाशय धर्मपाल की मौजूदगी में दिए गया।
दिल्ली के व्यापारियों और उद्यमियों की यह सशक्त पहचान बन गई है। इस अवसर पर व्यापारी नेता राजेंद्र शर्मा, राकेश यादव, विष्णु भार्गव, अरुण सिंघानिया, भारत आहूजा, सुरेश बिंदल, संदीप भारद्वाज, श्री भगवान गोयल, रमेश आहूजा, हेमंत गुप्ता, विजय प्रकाश जैन समेत अन्य उपस्थित रहे।
सत्येंद्र जैन ने कहा कि 2013 से अब तक बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गईं। जबकि पहले 2010 से 2013 के बीच 100 फीसद दरें बढ़ी थीं। सीटीआइ के संयोजक बृजेश गोयल ने कहा कि सीलिंग, जीएसटी समेत व्यापारियों और उद्यमियों की हर समस्या को लेकर सीटीआइ अपने स्थापना के बाद इन तीन वर्षो में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक के पास गई और रास्ता निकलवाया। यहां तक कि मुद्दों को लेकर सड़क तक पर उतरे।