RJD नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को आरोप लगाया कि बिहार में COVID-19 के संबंध में हुई जांच की संख्या ‘बहुत कम’ है। स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है। चिकित्सकीय सामग्री की खरीद ‘बेहद धीमी’ है। उन्होंने राज्य सरकार पर बिहार के प्रवासी मजदूरों को नजरंदाज करने और उनके प्रति उदासीनता दिखाने का भी आरोप लगाया। इनमें से कई प्रवासी मजदूर COVID-19 संक्रमण के कारण अन्य राज्यों से पैदल चल कर अपने घर लौटे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि वैश्विक महामारी पर राज्य सरकार का अब तक का रवैया यही रहा है कि वह ‘आग के स्वत: ही बुझ जाने’ की उम्मीद कर रही है। दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेकर लौटे लोगों द्वारा बिहार के लोगों को खतरा होने के मामले में सवाल पूछे जाने पर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि वायरस धर्म, क्षेत्र, जाति, नस्ल या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता।
उन्होंने कहा, ”यदि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहों ने कानून का उल्लंघन किया है, तो उन्हें सजा दी जानी है। भले ही वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों। भले ही वह निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का कार्यक्रम हो, दिल्ली में मजनू का टीला गुरुद्वारा में फंसे श्रद्धालु हों, कांग्रेस सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में जश्न मना रहे BJP कार्यकर्ता हों, रामनवमी पर पूजा कर रहे श्रद्धालु हों या कर्नाटक में विधायक का जन्मदिन समारोह हो।”
उन्होंने कहा, ”सरकार को उनकी पहचान करनी चाहिए और मैं उस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों से भी सामने आकर प्राधिकारियों को इस बारे में सूचित करने की अपील करता हूं।” तेजस्वी यादव ने इस महामारी को लेकर कोई ‘योजना नहीं बनाने’ को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ”जांच की संख्या बहुत कम रही है। चिकित्सकीय बुनियादी ढांचा सुधारा नहीं गया है, चिकित्सकीय आपूर्ति समाप्त हो रही है और उनकी खरीदारी बहुत धीमी है।” उन्होंने कहा कि खाना और राशन जरूरतमंदों, गरीबों और कमजोर लोगों को नहीं मिल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बिहार में इस वायरस से कम-से-कम 65 लोग संक्रमित हो चुके हैं। यादव ने मीलों पैदल चल कर आये बिहार के हजारों प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे नहीं आने को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि जब प्रवासी श्रमिकों को मदद की आवश्यकता थी, तब नीतीश सरकार कहीं दिखाई नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण स्तर पर पंचायत भवनों, स्कूलों या सामुदायिक केंद्रों जैसे पृथक-वास केंद्रों में कोई सुविधा नहीं है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी विशेष वित्तीय पैकेज की मांग कर रही है, क्योंकि बिहार में संसाधन सीमित हैं और राज्य सरकार ने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उसे विविध बनाने के लिए कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि COVID-19 अकल्पनीय संकट लेकर आयेगा और इससे गरीबों एवं कम आय वाले समूहों के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा हो सकता हैं।