वैश्विक महामारी घोषित हो चुका Coronavirus अबतक दुनियाभर में 4000 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। इस खतरनाक वायरस की काट खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस दौरान रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने Coronavirus से प्रभावित फेफड़े की 3D तस्वीर जारी की है।
इस तस्वीर में साफ दिख रहा है कि Coronavirus से संक्रमित मरीजों के फेफड़े चिकने और गाढ़ी बलगम (म्यूकस) से भर गया है। इस कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होती है। आपको बता दें कि कोरोना के वायरस मानव शरीर में सबसे पहले श्वसन तंत्र को ही संक्रमित करते हैं। जिसमें फेफड़े का संक्रमण पहला स्टेज है।
इस 3D इमेज के बनने के बाद डॉक्टर एक्स-रे और सीटी स्कैन से ऐसे मरीजों की बहुत जल्दी पहचान कर पाएंगे जो गंभीर रूप से संक्रमित हैं। इसके बाद उन मरीजों को तुरंत एकांत वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
सरकार ने केंद्रीय स्तर पर 011-23978046 फोन नंबर पर हैल्पलाइन बनाई है। वहीं दिल्ली सरकार ने नंबर 011-22307145 को हेल्पलाइन बनाया है। 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भी हैल्प लाइन बनाई गई हैं। इनमें बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तराखंड, दादर व नगर हवेली, दमन व दीव, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के लिए फोन नंबर 104 हैल्पलाइन बना है। मेघालय में 108 और मिजोरम में 102 नंबर पर हेल्पलाइन बनाई गई है।
Coronavirus मानव शरीर में घुसकर कोशिकाओं को प्रभावित करता है। जिससे कोशिकाओं के RNA में परिवर्तन होता है। इसके अलावा संक्रमित मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है। संक्रमण का स्तर बढ़ने पर मरीज की दम घुटने से मौत हो जाती है।
Coronavirus नाक, मुंह या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद ये वायरस श्वसन तंत्र के कोशिकाओं पर हमला कर ACE2 नाम के एक प्रोटीन का उत्पादन करता है। माना जाता है कि इस वायरस की उत्पत्ति चमगादड़ से हुई है क्योंकि इसमें भी ऐसा ही प्रोटीन पाया जाता है।
यह वायरस अपने मेम्ब्रेन को मानव शरीर के कोशिका के मेम्ब्रेन के साथ जोड़कर संक्रमित करता है। एक बार जब मानव शरीर के कोशिका में Coronavirus घुस जाता है तब यह उसके केंद्रक से एक अनुवांशिक तत्व को अलग करता है। इसे RNA नाम दिया गया है। RNA विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में पाया जाता है लेकिन उसकी नाभिक के अंदर बहुत कम पाया जाता है।
Coronavirus का जीनोम बहुत कम है। जबकि मानव शरीर का जीनोम इससे कई गुना बड़ा है। संक्रमित कोशिका RNA को प्रभावित करती है और ACE2 नाम के एक प्रोटीन को बनाती है। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
एंटीबायोटिक्स किसी भी वायरस के खिलाफ प्रभावी नहीं होता। यह सिर्फ बैक्टीरिया के खिलाफ काम करता है। एंटीबायोटिक्स को रोकथाम या उपचार के साधन के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि कोरोना से प्रभावित मरीजों को एंटीबायोटिक्स दिया जा रहा है क्योंकि अगर उन्हें कोई अन्य बैक्टीरिया का संक्रमण हो तो वह खत्म हो जाए।
जैसे-जैसे शरीर में संक्रमण बढ़ता है कोशिकाओं से दूषित प्रोटीन का निर्माण बढ़ जाता है। इससे शरीर में कोरोना के वायरस और ज्यादा बनते हैं। इसके बाद नए वायरस शरीर की अन्य कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं।