Lockdown के दिन आपने दिल्ली से अपने-अपने घरों के लिए आने को आतुर यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के हजारों मजदूरों का रेला देखा होगा। कोई हजार किलोमीटर से पैदल अपने घर गया तो कोई 3 पहिए वाले ठेले पर ही अपने परिवार को लेकर दिल्ली से बिहार के लिए निकल पड़ा। मुश्किल घड़ी में अपने मजदूरों, अपने कर्मचारियों का साथ छोड़ देने वाली कंपनियों को गोरखपुर खाद कारखाना ने आइना दिखाया है। खाद कारखाना में काम कर रहे 1573 मजदूरों को यहां के प्रबंधकों ने न सिर्फ अपने घरों जाने से रोका बल्कि पूरे वेतन के साथ सभी कर्मचारियों को मुफ्त में खाना भी खिला रहे हैं।
Lockdown के मुश्किल हालात में भी HURL (हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) खाद कारखाना में 1573 लोग रह रहे हैं। कोरोना का फैलाव रोकने के लिए शारीरिक दूरी बनाने के साथ यह लोग सभी जरूरी एहतियात भी बरत रहे हैं। इन मजदूरों की न केवल नियमित स्वास्थ्य जांच हो रही है बल्कि नाश्ते और भोजन का भी मुफ्त प्रबंध किया गया है।
खाद कारखाना में ठेके पर काम करा रही कंपनियों ने बिहार, बंगाल, असम और झारखंड से मजदूर बुलाए हैं। कारखाना में तेजी से काम चल रहा था कि इसी बीच कोरोना के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई। खाद कारखाना प्रबंधन ने काम बंद करा दिया तो कुछ मजदूर अपने घर चले गए, जबकि बड़ी संख्या में स्टाफ और कामगार कारखाना परिसर में ही रुक गए। इन मजदूरों की देखभाल के लिए डॉक्टरों की टीम तो लगाई ही गई है साथ ही भोजन भी कराया जा रहा है।
खाद कारखाना परिसर में फॉगिंग और सैनिटाइजेशन कराने के लिए प्रबंधन ने सैनिटाइजेशन और फागिंग मशीनें खरीद कर रखी हैं। परिसर में रोजाना इसका छिड़काव और फागिंग हो रही है। मजदूरों का कहना है कि दिन भर कमरे में बैठे-बैठे वह ऊब चुके हैं। परिसर में रहते हुए ही अगर काम करने की अनुमति मिल जाए तो समय भी कट जाएगा और काम भी आगे बढ़ेगा।