चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग की (Chinese President Xi Jinping to visit India) यात्रा पर गौर करें तो नजर आता है चीन की राजनीति कूटनीति। चीन की नजर दक्षिण एशियाई मुल्कों पर टिकी है। खासकर भारत, पाकिस्तान और नेपाल पर चीन अपनी गहरी नजरें जमाए हुए है। शी चिनपिंग इस यात्रा का मकसद जहां चीनी व्यापारिक हितों को साधना है, वहीं दक्षिण एशिया में अपनी सामरिक स्थिति का और मजबूत करना है। भारत को चीनी रणनीति को समझना होगा। भारत को अपने खिलाफ बने चीन-नेपाल-पाकिस्तान गठजोड़ की काट ढूंढ़नी होगी जो दक्षिण एशिया में भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।
हालांकि चीन इस बात को बखूबी जानता है कि दक्षिण एशिया में दखल के लिए उसे पहले पाकिस्तान और भारत को साधने की जरूरत होगी। चीन यह भी बखूबी जानता है कि दक्षिण एशिया में प्रभुत्व को लेकर उसका भारतीय हितों से टकराव होना लाजिमी है। चिनपिंग की यात्रा डायरी को अगर हम खंगाले तो सीक्रेट एजेंडा सामने आता है।
चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने अपनी सोची समझी रणनीति के तहत दक्षिण एशिया के दो देशों की यात्रा की है। शी चिनपिंग पहले भारत की यात्रा करेंगे और उसके बाद वो नेपाल की यात्रा करेंगे। भारत कई बार चीन और नेपाल के नजदकियों पर अपना ऐतराज जता चुका है। भारत का यह विरोध बेवजह नहीं है। हाल ही में चीन और नेपाल के संबंध अच्छे हुए हैं। जो भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। ऐसे में यह सवाल तो बनता है कि क्या भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रिश्तों पर चीनी चाल भारी पड़ रही है। नेपाल की मधेसी आंदोलन ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ाई हैं। चीन के इस कदम को भारत को दक्षिणि एशिया में परेशान करने की रणनीति के रूप में देखा जाता है।