अमेरिका में चीन के राजदूत ने चेतावनी दी है कि वाशिंगटन अगर ताइवान (Taiwan) की आजादी की आकांक्षा का समर्थन करता रहा तो दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। चीन, ताइवान (Taiwan) को अपना प्रांत मानता है, जबकि पिछले 3 दशकों से उसका स्वतंत्र अस्तित्व है। वह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और वहां चुनी हुई सरकार काम करती है। चीनी राजदूत किन गांग (Qin Gang) ने अमेरिकी रेडियो स्टेशन एनपीआर से शुक्रवार को कहा, ‘अगर अमेरिका ताइवान (Taiwan) के अधिकारियों को उकसाता रहा और वहां की सड़कों पर आजादी को लेकर आंदोलन चलते रहे तो 2 बड़े देशों के बीच युद्ध की आशंका बनी रहेगी।’
किन का यह साक्षात्कार अगले महीने शुरू हो रहे बीजिंग ओलिंपिक के कुछ दिनों पहले आया है। दोनों देशों के बीच तनाव तब से और बढ़ गया है, जब अमेरिका ने उइगर मुसलमानों के नरसंहार का हवाला देते हुए बीजिंग ओलिंपिक के राजनयिक बहिष्कार का एलान किया है। हालांकि, चीनी राजदूत ने नरसंहार के आरोपों को मनगढ़ंत व मानहानिकारक बताया।
किन ने कहा, ‘ताइवान (Taiwan) जलडमरूमध्य के दोनों तरफ के लोग चीनी हैं, इसलिए हमवतन हुए। लड़ाई का मतलब है, हमवतन से लड़ना। हम हर हाल में शांतिपूर्वक एकीकरण का प्रयास करेंगे।’ चीन, ताइवान (Taiwan) पर सैन्य हमले की धमकी देता रहा है। वह अक्सर अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान के हवाई क्षेत्र में भेजकर उसे उकसाता रहता है।
चीन ताइवान (Taiwan) और दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी योजना से टस से मस नहीं हो रहा है। दरअसल, चिनफिंग और जो बाइडन के बीच वर्चुअल बैठक बेनतीजा रही थी। उसके बाद बाइडन प्रशासन ने शायद यह तय कर लिया है कि चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर शिकस्त देना है। चीन को दुनिया के अन्य मुल्कों से अलग-थलग करना है। लोकतंत्र पर चीन के बहिष्कारा को इसी कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।