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शराब पीकर मरने वाले बिहार के हैं, पाकिस्तान के नहीं, मुआवजा तो देना होगा

Chhapra hooch tragedy: छपरा जहरीली शराब त्रासदी पर बिहार विधान परिषद के एलओपी सम्राट चौधरी (Samrat Chowdhary) ने रविवार को कहा कि मरने वाले बिहार के हैं, पाकिस्तान के नहीं। बिहार की जनता ने आपको (नीतीश कुमार) मुख्यमंत्री बनाया है। इसलिए यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उनके लिए काम करें। आपको इस त्रासदी में जान गंवाने वालों के परिवारों को मुआवजा देना होगा। उधर बीजेपी सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) ने कहा कि कल मैं छपरा जहरीली शराब त्रासदी में जान गंवाने वालों के परिवारों से मिला। उन्होंने दावा किया कि मरने वालों की संख्या 100 को पार कर गई है लेकिन सरकार संख्या छिपा रही है। पुलिस के डर से लोग बिना पोस्टमॉर्टम किए अपने परिवार के सदस्यों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। मोदी ने शनिवार को छपरा जहरीली शराब त्रासदी में जान गंवाने वालों के परिवारों से मुलाकात की। उधर बिहार के छपरा में जहरीली शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 65 हो गई है। घटना की शुरुआत बुधवार को हुई थी। कथित तौर पर ज्यादातर मौतें बुधवार और गुरुवार को हुईं, जिससे बिहार विधानसभा के अंदर और बाहर खलबली मच गई।

शराब पीने से कोई मरता है तो मुआवजा नहीं मिलेगा-सीएम नीतीश
विपक्ष के कई नेता आधिकारिक से अधिक मौतों का दावा कर रहे हैं। अप्रैल 2016 से बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध के बावजूद जहरीली शराब से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को लेकर बीजेपी के नेतृत्व में विपक्ष ने सत्ताधारी जदयू-आरजेडी को निशाने पर लिया। बीजेपी के नेतृत्व में विपक्ष की कड़ी आलोचना के बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोई व्यक्ति जहरीली शराब के सेवन से मरता है, तो उसे कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। सीएम ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। हम आपसे शराब न पीने की अपील करते रहे हैं। अगर आप पीएंगे तो मर जाएंगे। जो लोग शराबबंदी के खिलाफ बोलेंगे, वे लोगों का भला नहीं करेंगे।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इस बीच, इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने शनिवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि वह अधिक मौतों के मद्देनजर ऑन-द-स्पॉट जांच के लिए अपने एक सदस्य के नेतृत्व में अपनी टीम को नियुक्त करेगा। बिहार के अन्य जिलों में जहरीली शराब कांड की खबर आई है। आयोग ने कहा कि वह यह जानना चाहता है कि इन पीड़ितों को कहां और किस तरह का इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

एनएचआरसी ने नीतीश सरकार पर उठाए सवाल
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उनमें से ज्यादातर गरीब परिवारों से हैं और शायद प्राइवेट अस्पतालों में महंगे इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं, इसलिए राज्य सरकार के लिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि जहां कहीं भी उपलब्ध हो उन्हें सर्वोत्तम संभव मेडिकल उपचार प्रदान किया जाए। आयोग ने पाया है कि अप्रैल 2016 में बिहार सरकार ने राज्य में शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसलिए इस तरह की घटनाओं से संकेत मिलता है कि वह अवैध और नकली शराब की बिक्री को रोकने में सक्षम नहीं है।

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