10 मई को मदर्स डे आ रहा है। इस मौके पर बच्चे अपनी मां के साथ खास पल बिताएंगे। कोई उन्हें गिफ्ट दे रहा होगा तो कोई उनकी ममता को पंक्तियों के जरिए साझा कर रहा होगा। इस खास दिवस को मनाने के लिए बेटे अलग-अलग तरीके अपनाएंगे। मगर सबसे पहले जान लेते हैं आखिर Mother day की शुरुआत कब और कहां से हुई। आखिर इसके पीछे क्या मकसद होता है।
10 मई को मनाया जाता है Mother day
1912 में Mother day की शुरूआत अमेरिका से हुई। एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्ता अपनी मां से बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। भारत समेत कई देशों में मई के दूसरे रविवार को Mother day को मनाया जाता है। भला मौका को ममता को सलाम करने का तो ये कैसे हो सकता है शायर मुनव्वर राणा याद ना आएं। उनकी शायरी की चंद पंक्तियों से पता चल जाएगा मां का महत्व-
शायरी के जरिए मां को सलाम
दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ
कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई ‘ताबिश’
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
चलती फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
लबों पे उसके कभी बददुआ नहीं होती
बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
सब ने माना मरने वाला दहशत-गर्द और क़ातिल था
माँ ने फिर भी क़ब्र पे उस की राज-दुलारा लिक्खा था
मुद्दतों ब’अद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों ब’अद हमें नींद सुहानी आई
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है