जातीय सर्वे का चौका और आरक्षण का छक्का मारकर भी कैसे हिट विकेट हो गए नीतीश कुमार !

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जातीय सर्वे की रिपोर्ट का चौका और जातीय आरक्षण 65 परसेंट करने का छक्का मारकर भी पांच दिन के विधान मंडल सत्र में हिट विकेट हो गई।

हिट विकेट । यानी क्रिकेट में बल्लेबाज के ही बल्ले से जब विकेट गिर जाए और वो आउट हो जाए। ऐसा ही हुआ है बिहार में मुख्यमंत्री कुमार की महागठबंधन सरकार के साथ। जातीय गणना सर्वे रिपोर्ट के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों से चौका और उसके आधार पर जातीय आरक्षण बढ़ाने का छक्का मारने के बाद विवादित बयानों की वजह से पांच दिन चले विधान मंडल सत्र में नीतीश सरकार हिट विकेट हो गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हिन्दुत्व की काट खोज रहे इंडिया गठबंधन की तीन प्रमुख पार्टियां जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस जिस जातीय सर्वे रिपोर्ट और आरक्षण बढ़ाने को राजनीतिक हथियार बनाकर लहराती नजर आ सकती हैं, उसे पूरी तरह भुनाने का मौका सीएम के बयानों ने हेडलाइन बनकर गंवा दिया।

पांच दिन के विधान मंडल सत्र की शुरुआत हुई 6 नवंबर को । उस दिन सरकार ने 26086 करोड़ का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। अगले दिन मंगलवार को सरकार के लिए बड़ा दिन था। सरकार ने जातीय गणना से मिले सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों को सदन में रखा। किस जाति के पास कितनी जमीन, कितना घर, कितनी नौकरी, कितनी गाड़ी, इस तरह के डेटा सामने आए। नीतीश ने कहा कि आबादी और पिछड़ापन के आधार पर 75 परसेंट आरक्षण होना चाहिए। हेडलाइन बने, एनालिसिस शुरू हुए थे। ये सब रफ्तार पकड़ ही रहा था कि विधानसभा में बोलते हुए नीतीश ने पहला सेल्फ गोल मार लिया।

नीतीश ने महिलाओं के शिक्षित होने के महत्व पर रोशनी डालते हुए लड़कियों को स्कूल लाने और कॉलेज तक पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाली अपनी योजनाओं की याद दिलाई। फिर वो राज्य में जनसंख्या वृद्धि की दर में आई कमी और उसे लड़कियों की साक्षरता दर बढ़ने से जोड़कर विस्तार से यह बताने लगे कि यौन संबंध बनाने के समय शिक्षित महिलाएं कैसे गर्भवती और मां बनने से बच सकती हैं। नीतीश जो कहना चाहते थे, उसमें दिक्कत किसी को नहीं थी। लेकिन यौन संबंध बनाने की प्रक्रिया को जिस तरीके से उन्होंने डिटेल में समझाया, उससे भाजपा को बैठे बिठाए उन्हें महिला विरोधी बताने का मौका मिल गया ।

सीएम का सूचना तंत्र फौरन फीडबैक देने में नाकाम रहा और नीतीश विधानसभा में कही बात को विधान परिषद में भी दोहरा आए । बवाल शुरू हो गया। बीजेपी की विधान पार्षद निवेदिता सिंह रोते हुए मीडिया से कहने लगीं कि सदन के इतिहास में यह काला दिन दर्ज हो गया है। निवेदिता सिंह ने कहा कि इस सदन में कानून बनता है, सेक्स एजुकेशन का क्लास नहीं चलता। सदन तो उस दिन के लिए स्थगित हो गया लेकिन अगली सुबह तक खबरों में जातीय गणना के जारी डेटा के बदले महिला अपमान और उस पर देश भर से नेताओं की तमाम प्रतिक्रिया की खबरें बनती रहीं ।

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