सुखदेव भगत का टिकट पक्का, खरीद लिया नामांकन पत्र

सुखदेव भगत को लोहरदगा विधानसभा सीट से BJP का टिकट मिलना पक्का है! कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए सुखदेव भगत ने नामांकन पत्र भी खरीद लिया है. हालाँकि भाजपा ने अब तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, लेकिन सुखदेव के नॉमिनेशन फॉर्म खरीदने की खबर ने इस चर्चा को हवा दे दी है.

भाजपा और आजसू के बीच अब तक सीटों का तालमेल पूरा नहीं हो पाया है. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो की आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत ने पराजित कर दिया था.

जिस भाजपा के खिलाफ पहली बार चुनाव मैदान में उतरकर सुखदेव भगत ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी, आज उसी भाजपा के टिकट पर लड़ने को तैयार बैठे हैं। खैर यह राजनीति का हिस्सा है। लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत का जीवन किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। भाजपा के खिलाफ वर्ष 2005 में विधानसभा चुनाव लड़कर भाजपा से लोहरदगा की सीट छीन ली थी, अब वह भाजपा का हिस्सा हैं।

राज्य प्रशासनिक सेवा का त्याग कर BJP के खिलाफ चुनाव लड़कर उस समय के केबिनेट मंत्री रहे सधनू भगत को चुनाव हराया था। 14 साल के राजनीतिक सफर में सुखदेव भगत ने विधायक से लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तक की कुर्सी और जिम्मेदारी संभाली। सुखदेव भगत का जीवन काफी रोचक रहा है। पिता गंद्धर्व भगत स्वतंत्रता सेनानी थे, घर में शुरू से ही देशभक्ति का माहौल रहा था। सुखदेव भगत की शुरुआती शिक्षा नेतरहाट आवासीय विद्यालय में हुई।
दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर के साथ एमफिल किया। इसके बाद बैंक के अधिकारी बने, जिसे छोड़कर बिहार प्रशासनिक सेवा में चले गए। वर्ष 2005 मराज्य प्रशासनिक सेवा से डिप्टी कलेक्टर का पद का त्याग कर कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े तब लोहरदगा के विधायक भाजपा के सधनू भगत थे। सधनू भगत लगातार दो बार से लोहरदगा के विधायक रहते हुए सरकार में मंत्री भी थे। ऐसे में सुखदेव भगत के लिए राजनीतिक पारी की राह बिलकुल भी आसान नहीं थी।
भाजपा के पुराने गढ़ में सेंधमारी करने के लिए उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी। फिर भी लोगों ने सुखदेव भगत को हाथों हाथ लिया। कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने जाने के बाद भाजपा सरकार में हीं सुखदेव भगत वर्ष 2006 में कॉमनवेल्थ में 53 देशों के समक्ष विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व किया और संसदीय प्रणाली के बारे में अपना विचार रखा। वर्ष 2009 के चुनाव में महज 594 वोटों के अंतर से आजसू के केके भगत से चुनाव हारने के बाद सुखदेव भगत वर्ष 2013 में कांग्रेस पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 2015 के उप-चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के रहते आजसू-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ 23228 मतों से सुखदेव भगत को जीत मिली।
इस दौरान साल 2009 और 2014 में भले ही आजसू के कमल किशोर भगत से हार मिली लेकिन एक बड़े और मजबूत नेता के रूप में सुखदेव भगत की पहचान पुख्ता हुई।

सुखदेव के बढ़ते कद का परिणाम लोकसभा चुनाव 2019 में सबके सामने आया। अप्रत्याशित रूप से भितरघात के बावजूद सुखदेव भगत ने BJP के सुदर्शन भगत को कड़ी टक्कर दी। दूसरी तरफ लोगों को लग रहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोहरदगा में चुनावी सभा के बाद सुखदेव भगत अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएंगे। लेकिन सुखदेव भगत ने शानदार तरीके से सुदर्शन भगत को टक्कर दी। कुछ हजार मतों से हार का सामना भले ही किया, परंतु सुखदेव भगत ने राजनीतिक गलियारे में अपना कद ऊंचा कर लिया। सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को कितना भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा यह तो वक़्त ही बताएगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1