झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही एक बार फिर सेनाएं तैयार हैं। सत्ताधारी और विपक्षी दल अपने-अपने मुद्दों के साथ मैदान में उतरने की तैयार हैं, कइयों ने तो कई महीनों से तैयारी भी कर रखी है, अब मोर्चे पर आकर डट भी जाएंगे। पिछले चुनाव के परिणाम को जारी रखने या फिर इसको बदलने के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से जोर लगा रही हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में लगभग 35 फीसद मत बटोरकर सत्ताधारी गठबंधन ने 42 सीटों पर कब्जा किया था। इसमें से 37 भाजपा को और पांच आजसू को मिली थीं।
आजसू को प्राप्त मत 3.7% रहा था। JVM को कुल 10% वोट प्राप्त हुए थे। इसके 8 उम्मीदवार जीते लेकिन दो महीने के अंदर ही इनमें से छह BJP में चले गए। JMM को 19 सीटें, कांग्रेस को सात, बसपा को एक और अन्य सीटें छोटी पार्टियों को भी मिलीं। चुनाव के बाद के पांच वर्षों में भाजपा के पक्ष में माहौल बनता ही रहा और सीटों की संख्या में भी तब्दीली होती रही। हाल में आयोजित लोकसभा चुनाव ने भाजपा को और ताकत दी है।
लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटें तो भाजपा के पक्ष में रही हैं, राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 63 पर प्रतिद्वंद्वी विपक्षी गठबंधन से बढ़त बनाने में सफलता पाई। विपक्ष को लोकसभा की दो ही सीट हासिल हो सकी। इस स्थिति से उत्साहित होकर भाजपा ने मिशन 65 के साथ चुनाव की तैयारियां शुरू की हैं। अब लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम को जारी रखते हुए राज्य की 81 सीटों में से 65 से अधिक पर कब्जा जमा लिया जाए। लक्ष्य को निर्धारित करने के बाद भाजपा ने इसे हासिल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
संगठन से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार विधानसभा क्षेत्रों में सक्रियता से काम कर रहे हैं। पूर्व कीे घोषणाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है तो नई घोषणाएं भी की जा रही हैं। लोगों से काम के आधार पर वोट मांगने का सिलसिला शुरू हुआ है और भाजपा इसको आगे भी जारी रखना चाहती है। पार्टी के सीनियर नेता भी आम लोगों के बीच काम के आधार पर ही पार्टी की छवि बनाने में लगे हुए हैं। दूसरी ओर, विपक्षी सेना लड़ाई शुरू होने के पूर्व ही कहीं न कहीं कमजोर होने लगी है। लोकसभा में जहां विपक्षी महागठबंधन सक्रिय रहा वहीं अभी जो आसार हैं उनके अनुसार झामुमो और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे लेकिन झारखंड विकास मोर्चा को अलग कर दिया गया है।
अभी तक वामपंथी दलों और विपक्ष की अन्य पार्टियों की भूमिका तय नहीं हुई है। ऐसे में शुरुआत से ही सत्ताधारी गठबंधन बढ़त की स्थिति में दिख रहा है लेकिन विपक्ष को कमजोर आंकना भी गलत होगा। लोकसभा चुनाव में भले ही झामुमो ने अपनी एक परंपरागत सीट जीती हो, कांग्रेस ने तो भाजपा की जीती हुई सीट छीनी है और इस कारण से सत्ताधारी दल को सतर्क रहने की जरूरत है।
2014 का परिणाम
भाजपा : 37 + 6 (झाविमो) = 43 सीट
आजसू : 5 सीट
झामुमो : 19 सीट
कांग्रेस : 8 सीट
बसपा : 1 सीट
सीपीआइ एमएल : 1
एमसीसी : 1 सीट
जय भारत समानता पार्टी : 1 सीट
नौजवान संघर्ष मोर्चा : 1 सीट
नोट : हाल के दिनों में झामुमो से दो, झाविमो से एक, कांग्रेस से दो विधायकों और जय भारत समानता पार्टी के एक विधायक का विलय भाजपा में हुआ है।
एक महीने से कुछ अधिक दिनों के बाद ही झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसके खिलाफ झारखंड विकास मोर्चा ने कानूनी लड़ाई भी लड़ी लेकिन अंतिम परिणाम नहीं आ सका है। विधायकों के जाने का यह क्रम एक बार फिर चुनाव के नजदीक आते ही रफ्तार पकड़ चुका है।
अक्टूबर महीने में झामुमो के दो, कांग्रेस के दो, झाविमो के एक निलंबित विधायक और जय भारत समानता पार्टी के एक विधायक भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इस प्रकार भाजपा के बैनर तले विधायकों की संख्या 54 हो चुकी है और इसके बढऩे के आसार बने ही हुए हैं।