बिहार सरकार ना कुछ करती है और ना करनें देती है-आनंद माधव

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी मैनिफ़ेस्टो कमिटी एवं रिसर्च विभाग के चेयरमैन श्री आनंद माधव जी ने एक बयान जारी कर सरकार के कार्यों के प्रति रोष प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि ये सरकार ना कुछ करती है और ना करनें देती है। सरकार काग़ज़ी शेर बनी हुई है। राहत सामग्री बॉंटने के लिये तीन तीन बार मेरा आवेदन रिजेक्ट किया गया। पहली बार मैनें एक पिकअप वैन के वाहन पास के लिये आवेदन दिया था, फिर दो बार अपनी निजी गाड़ी के लिये। लेकिन तीनों ही बार पटना प्रशासन ने मेरे आवेदन को बिना किसी उचित कारण के अस्वीकृत कर दिया।जबकि मैंने लिखा था कि ज़रूरतमंदों के लिये राहत सामग्री पहुँचाना, पर बार-बार लिखकर आता है “नॉट अलाउड” बस। अगर हमें नियमों का उल्लंघन ही करना होता तो मैं विधिवत पास के लिये क्यों अपलाई करता।

पास के लिए जो विकल्प हैं उनमें प्रयोजन में तीन ही ऑप्शन है-
१- व्यक्तिगत
२. व्यवसायिक एवं
३. अधिकारिक
अब बतायें की मैं कहा अपलाई करूँ । व्यापार करना नही, सरकारी अधिकारी हूँ नहीं, तो व्यक्तिगत ही होगा। लेकिन प्रयोजन के डीटेल में मैंने लिखा है-
जरुरतमंदो के बीच डेटॉल साबुन पहुँचाने हेतु राहत सामग्री, और अंत में यह भी लिखा कि जरुरतमंदो के बीच मेडिकल समान पहुँचाने हेतु । ज़िलाधिकारी वही करता जो उसे निर्देश रहता है, फिर पटना का ज़िलाधिकारी तो साहब के नाक का बाल होता है।

  • इस कोरोना त्रासदी में विपक्ष तो सरकार का साथ देना चाहती है लेकिन सरकार ही विपक्ष को साथ लेकर नहीं चलना चाहती है। सरकार बस काग़ज़ी खानापूर्ति में और बयानबाज़ी में लगी है। हमारी माँग है कि सरकार-
  • एक सर्वदलीय टास्क फ़ोर्स का निर्माण राज्य स्तर से लेकर ज़िला स्तर तक करे, जो COVID-19 का राहत कार्य की निगरानी करे एवं प्रशासन के साथ मिलकर कार्य करे।
  • राहत कार्य के लिये वाहन पास अविलम्ब निर्गत हों।
  • सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी राहत कार्य के लिए वाहन पास निर्गत होना चाहिये।
  • बाहर से जो प्रवासी मज़दूर आये हैं उनके रहने और खाने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। राजधानी पटना तक में दैनिक मज़दूर नमक पानी पी कर रात सोनें को मजबूर हैं।

हम सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं लेकिन सरकार हमें साथ लेकर नहीं चलना चाहती। सरकार को राजनीतिक दलों के साथ छूआ छूत का व्यवहार नहीं करना चाहिये। इस संकट की घड़ी में हम कोई राजनीति नहीं करना चाह रहे लेकिन सरकार हमसे बचनें की राजनीति कर रही है।

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