Bihar Elections: राजधानी पटना में आज (बुधवार) कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हो रही है. बिहार चुनाव (2025) से पहले यह ऐतिहासिक मीटिंग पटना के सदाकत आश्रम में हो रही है. इस बैठक के बीच महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या हो सकता है यह सूत्रों के हवाले से निकलकर सामने आया है. 2020 के मुकाबले के अनुसार आरजेडी, लेफ्ट और वीआईपी को नुकसान नहीं है लेकिन कांग्रेस को बड़ा घाटा हो सकता है.
इस चुनाव में कांग्रेस को मिल सकती हैं 52 सीटें
सूत्रों की मानें तो आरजेडी सबसे अधिक 140 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं कांग्रेस को 52 सीटें मिल सकती हैं. वाम दल को 35 (इसमें CPIML, CPI और CPM शामिल हैं) और वीआईपी को 15 सीटें मिल सकती हैं. इस फॉर्मूले में थोड़ा ऊपर-नीचे होने की संभावना है, अगर पशुपति पारस की पार्टी RLJP और JMM महागठबंधन में आती है तो इन्हें 2-2 सीटें दी जा सकती हैं.
उक्त फॉर्मूले पर महागठबंधन के दलों के बीच बातचीत हो रही है. सभी दलों की सहमति होते ही औपचारिक ऐलान किया जा सकता है. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुए सीट बंटवारे के फॉर्मूले के आधार पर ही इस बार भी सब कुछ होगा. 2024 में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से आरजेडी 23 और कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ी थी. वहीं वाम दलों को पांच सीटें (CPIML तीन, CPM एक, CPI एक) मिली थीं. वीआईपी को तीन सीटें मिली थीं.
2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन में 144 पर आरजेडी लड़ी थी. 70 सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी. वहीं 29 सीटों पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थीं. लेफ्ट पार्टियों में सीपीएम को चार सीटें, सीपीआई को छह और सीपीआई माले को 19 सीटें दी गई थीं.
2020 में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी कांग्रेस
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीट दी गई थी. हालांकि पार्टी के प्रत्याशियों ने शानदार प्रदर्शन नहीं किया और ज्यादातर सीटों पर हार हो गई. केवल 19 सीटों पर ही कांग्रेस जीती थी. कई बार इसको लेकर लालू यादव भी कह चुके हैं कि क्या कांग्रेस को अधिक सीटें हारने के लिए दे दी जाए? दूसरी ओर देखने वाली बात होगी कि कम सीटों पर कांग्रेस मानती है या फिर बढ़ाने के लिए कुछ और दबाव बनाती है.