बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और अब तक NDA में सीट शेयरिंग के फॉर्मूला पर मुहर नहीं लगी है. सभी सहयोगी दलों की डिमांड के आधार पर विचार-मंथन चल रहा है. सूत्रों की मानें तो बाकी दलों के लिए सीटें तय हो गई हैं, लेकिन केवल चिराग पासवान की जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पार्टी ही बची है, जिससे सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाई है. इसी बीच पार्टी प्रमुख चिराग पासवान भी ऐसे संकेत देने लगे हैं, जो एनडीए के लिए मुश्किल खड़ी करता दिख रहा है.
दरअसल, चिराग पासवान ने एनडीए के सामने 40 से 45 सीटों की मांग रखी है, लेकिन सहयोगी दलों की संख्या के हिसाब से बीजेपी के सामने यह मजबूरी है कि वह चिराग पासवान को 25 से 28 सीटें ही दे सकती है. इससे चिराग खुश नहीं हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि अब क्या होगा?
NDA को चुनौती देने के मूड में चिराग पासवान?
इसी बीच चिराग पासवान ने अपने हालिया एक्स पोस्ट में कुछ ऐसा लिख दिया है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वे एनडीए और खास तौर पर नीतीश कुमार की जेडीयू को बड़ी चुनौती दे सकते हैं. चिराग ने अपने पोस्ट में पिता रामविलास पासवान की पांचवीं पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि दी. इसी के साथ यह भी लिखा, “पापा हमेशा कहा करते थे- जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत. जीना है तो मरना सीखो. कदम-कदम पर लड़ना सीखो.”
2020 वाला कदम दोहराएंगे चिराग पासवान?
चिराग पासवान का सोशल मीडिया पोस्ट एनडीए के लिए खतरे की घंटी जैसा माना जा रहा है. क्या वे एक बार फिर साल 2020 वाला कदम 2025 में भी उठाएंगे? अगर आपको याद हो तो चिराग पासवान ने बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, जिससे नीतीश कुमार की जेडीयू के लिए मुसीबत खड़ी हो गई थी.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह चिराग पासवान की प्रेशर पॉलिटिक्स है, जिसके जरिए वे अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने की कोशिश कर रहे हैं. एक ओर धर्मेंद्र प्रधान चिराग पासवान से मिलने जाते हैं, तो दूसरी ओर जब भी चिराग से बात करने की कोशिश की जाती है, तो उनका फोन बंद आता है.
चिराग पासवान के इस बयान से मिल रहे संकेत
चिराग पासवान ने अभी तक खुद सामने आकर यह बयान नहीं दिया था कि वह एनडीए से अलग होना चाहते हैं या बिहार में अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि, उनके बहनोई अरुण भारती कहते हैं कि चिराग पासवानी इस बार पूरे बिहार का नेतृत्व कर सकते हैं. अब चिराग पासवान खुद भी आगे आए और उन्होंने अपने पिता के सपनों का जिक्र किया. साल 2020 में अकेले चुनाव लड़ने का भी जिक्र किया और ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ की भी बात कही.
चिराग पासवान ने क्या कहा था?
दरअसल, चिराग पासवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य को मैंने कभी टूटने नहीं दिया. उनके जाने के बाद विपरीत परिस्थियां भी आईं. पार्टी को साल 2020 में अकेल चुनाव लड़ना पड़ा था. उस परिस्थिति का भी मैंने मजबूती से सामना किया. अकेले चुनाव लड़ा. जो परिणाम बिहार की जनता ने दिए, उन्हें सिर आंखों पर रखा. बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की सोच को आगे बढ़ाता रहा.”