क्या बिहार में सवर्ण वोटों का मोह छोड़ रही RJD, तेजस्वी कैसे अखिलेश का PDA जैसा फॉर्मूला बनाने में जुटे?

बिहार विधानसभा चुनावों से पहले ही बिहार की सियासी पिच तैयार होने लगी है. बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे और आरजेडी नए तरीके से अपने जातीय समीकरण को बनाने में जुटी हुई है. वहीं, आरजेडी सवर्ण वोटों का मोह छोड़कर अखिलेश यादव की तर्ज पर पीडीए फॉर्मूले पर काम कर रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी एक साल का समय बाकी हो, लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछाई जाने लगी है. बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने में जुटी है तो आरजेडी नए तरीके से अपने जातीय समीकरण को बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है. आरजेडी के तेजस्वी यादव सहित पार्टी के नेताओं ने विधानसभा में जिस तरह दलित और ओबीसी को 65 फीसदी आरक्षण देने की वकालत की है, उससे यह बात साफ है कि आरजेडी सवर्ण वोटों का मोह छोड़कर अखिलेश यादव की तर्ज पर पीडीए फॉर्मूला (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पर फोकस करने की रणनीति है.

बिहार उपचुनाव में तेजस्वी यादव का एम-वाई (मुस्लिम- यादव) के साथ BAAP कंसेप्ट यानि बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पूअर कोई काम नहीं आ सके. इससे आरजेडी की सियासी टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि 2021 के बाद से चुनाव दर चुनाव हार रही है. ऐसे में आरजेडी में अपने कोर वोटबैंक पर लौटने की आवाज उठने लगी थी. विधानसभा में इसकी झलक भी दिख गई, जब तेजस्वी यादव से लेकर राबड़ी देवी तक ने दलित, ओबीसी आरक्षण को 65 फीसदी करने के मांग की.

दलित, पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों की हो रही हकमारी – तेजस्वी

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सदन से सड़क तक दलित, ओबीसी के आरक्षण के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि महागठबंधन की सरकार ने आरक्षण की सीमा को 65 प्रतिशत तक बढ़ाने का काम किया है. इसके लिए जातीय जनगणना महागठबंधन की सरकार ने कराया, लेकिन मौजूदा एनडीए की सरकार पुराने आरक्षण पर ही नई रिक्तियों को भरने का काम कर रही है. दलित, पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों की हकमारी की जा रही है. वह बताने में जुटे हैं कि बीजेपी के चलते ही ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासियों को 65 फीसदी आरक्षण नहीं मिल पा रहा.

तेजस्वी यादव जिस तरह सदन में दलित, ओबीसी आरक्षण को लेकर आक्रमक नजर आए हैं, उसके पीछे आरजेडी के भविष्य की राजनीति भी छिपी हुई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक के राजनीति पर लौटने की रणनीति बनाई थी, जिसे पीडीए फॉर्मूला का नाम दिया गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा का पीडीए फॉर्मूला हिट रहा था. बिहार में इस बात को लेकर तेजस्वी यादव पर आरजेडी नेताओं ने दबाव बनाना शुरू कर दिया था, अब वे तालमेल और सियासी राजनीति से परहेज करें और दलित- ओबीसी के मुद्दे पर ही फोकस करें.

तेजस्वी को ओबीसी और अल्पसंख्यक पर केंद्रित होकर करनी होगी राजनीति

आरजेडी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तेजस्वी यादव को सवर्ण जातियों के वोटों के मोह से बाहर निकलकर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक पर केंद्रित राजनीति करनी होगी, जिस तरह यूपी में अखिलेश यादव इन दिनों कर रहे हैं. सवर्ण समाज आरजेडी में विधायक और सांसद बनने के लिए आते हैं, लेकिन उनके समाज का वोट पार्टी को नहीं मिलता है. भूमिहार से लेकर ब्राह्मण और राजपूत वोटर बीजेपी का कोर वोटबैंक बना हुआ है. ऐसे में आरएजेडी को दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक को केंद्रित कर राजनीति करनी चाहिए. तेजस्वी यादव अगर अपने दलित और पिछड़े नेताओं की सलाह मान लेते हैं तो नए सियासी समीकरण के साथ आरजेडी चुनावी मैदान में उतर सकती है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूरी तरह से सामाजिक न्याय की राजनीति करते हुए नजर आ रहे हैं. राहुल गांधी लगातार आरक्षण की 50 फीसदी लिमिट को खत्म करने और जातिगत जनगणना कराने की मांग लगातार उठा रहे हैं. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद की राजनीति ही पूरी तरह दलित और ओबीसी के सहारे खड़ी हुई है. लालू यादव ने बिहार में दलित, ओबीसी को सवर्ण समुदाय के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने और मुस्लिमों को सुरक्षा देकर सियासी स्पेस बनाया.

अखिलेश के नक्शे कदम पर तेजस्वी

आरजेडी के दलित और पिछड़े नेता चाहते हैं कि तेजस्वी यादव सवर्ण वोटों के लिए ए टू जेड और BAAP जैसे राजनीतिक प्रयोग करने के बजाय दलित, ओबीसी और पिछड़ों पर फोकस कर अपनी सियासी राह में आगे बढ़ाए. तेजस्वी यादव इस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं. आरजेडी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने कोटे की 23 सीटों में से सिर्फ दो सीट पर सवर्ण समुदाय के प्रत्याशी को उतारा था. अखिलेश यादव की तर्ज पर आरजेडी ने ओबीसी में खासकर गैर-यादवों को प्रत्याशी बनाया था. अब जिस तरह दलित और ओबीसी के आरक्षण को बढ़ाने के लिए मुखर नजर आ रहे हैं, उससे सवाल उठने लगा है कि क्या तेजस्वी यादव भी अब अखिलेश की तरह दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों पर फोकस कर राजनीति करेंगे?

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1