Bajrang Punia On Wrestlers Protest: देश के शीर्ष पहलवानों बजरंग पूनिया, (Bajrang Punia) साक्षी मलिक और विनेश फोगाट की ओर से रेलवे की नौकरी ज्वाइन करने के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)के खिलाफ उनका प्रदर्शन खत्म होने की अटकलों ने जोर पकड़ा. इस बीच पहलवानों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी हुई. पहलवानों की सरकार के साथ सेटिंग होने की भी अटकलें सामने आईं. पूरी स्थिति पर ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने रुख स्पष्ट किया है.
सोमवार (5 जून) को खबर आई थी कि पहलवानों के रेलवे की अपनी नौकरियां ज्वाइन कर ली हैं और शनिवार (3 जून) रात को उनकी केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात हुई थी. मामले पर समाचार चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) ने कहा कि वह और उनके कोच शनिवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे.
उन्होंने कहा कि कोई सेटिंग (सरकार के साथ) नहीं है. पूनिया ने कहा कि एक तरफ तो सरकार के लोगों की ओर से मीटिंग के बारे में बाहर बोलने से मना किया गया लेकिन वही लोग पीछे से बता रहे हैं कि देखिए ‘खिलाड़ी मिले हैं, ये बातें हुई हैं.’ पूनिया ने कहा कि गृह मंत्री ने एक्शन लेने का आश्वासन दिया था.
आंदोलन की रणनीति पर बजरंग पूनिया का जवाब
इसी के साथ पूनिया ने कहा, ”आंदोलन पीछे नहीं हटा है, आंदोलन लगातार जारी है, हम रणनीति बना रहे हैं कि आंदोलन आगे कैसे बढ़े. कुछ न्यूज चैनल ये झूठी खबरें फैला रहे हैं कि खिलाड़ियों ने आंदोलन वापस ले लिया, उनमें आपस में दरार आ गई है, एक खिलाड़ी (साक्षी मलिक) का नाम भी लिया है कि उसने अपना नाम वापस ले लिया है. मैं न्यूज चैनलों को बोलूंगा कि आप हमारा प्रोटेस्ट दिखा नहीं सकते तो उसका निगेटिव भी न दिखाएं. हम रेल के कर्मचारी हैं.”
उन्होंने कहा, ”जब हमारा प्रोटेस्ट उस दिन वहां से उठाया गया 28 तारीख के बाद तो एक दिन जाकर साइन करके आए थे क्योंकि हमने छुट्टी ले रखी थी. अगर रेल की जॉब भी उसमें बाधा बनेगी तो हम सब कुछ दांव पर लगाकर चल रहे हैं. हम जॉब भी छोड़ देंगे.” उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से रेल की नौकरी के बारे में कोई दवाब नहीं आया.
अब तक क्या-क्या हुआ?
पहलवानों ने 23 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)के खिलाफ फिर से धरना प्रदर्शन शुरू किया था जो 28 मई तक चला. 28 मई को पहलवानों ने नए संसद भवन के पास महिला महापंचायत करने की कोशिश की थी. इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ था. नई संसद के पास पुलिस ने पहलवानों को महिला महापंचायत करने से रोका और उन्हें हिरासत में लेकर जंतर-मंतर से उनका सामान हटा दिया था.
इसके बाद नाराज पहलवानों ने हरिद्वार जाकर अपने मेडल गंगा नदी में बहाने की कोशिश की थी. हालांकि, किसान संगठनों और समर्थकों के आह्वान पर उन्होंने मेडल नहीं बहाए थे. किसान नेता राकेश टिकैट ने मेडल न बहाने की अपील करते हुए पहलवानों से उनके समर्थन में कोई बड़ा कदम उठाने के लिए 5 दिन का समय मांगा था.
इसके बाद पहलवानों के समर्थन में 1 जून को यूपी के मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में और 2 जून को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में खाप महापंचायत हुई. खाप महापंचायत के बाद मीडिया से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैट ने कहा था कि अगर 9 जून तक बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होती है तो एक बार फिर खिलाड़ियों को लेकर दिल्ली जंतर मंतर जाएंगे.
मंगलवार (6 जून) को खबर आई कि भारतीय किसान यूनियन ने 9 जून को जंतर-मंतर पर किया जाने वाला कार्यक्रम स्थगित कर दिया है. किसान नेता राकेश टिकैट ने कहा कि अभी पहलवानों की गृह मंत्री से बातचीत चल रही है. पहलवानों के कहने पर कार्यक्रम स्थगित किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि पहलवान कार्यक्रम के लिए जो भी तारीख बताएंगे, उसका समर्थन किया जाएगा.
इस बीच मंगलवार (6 जून) को ही दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के सिलसिले में उनके सहयोगियों और यूपी के गोंडा में उनके आवास पर काम करने वाले लोगों के बयान दर्ज किए हैं.
अधिकारियों ने जानकारी दी कि जिस लकड़ी के बयान के आधार पर बृजभूषण के खिलाफ यौन पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज हुआ था, अब सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक बार फिर उसका बयान दर्ज किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस मामले साक्ष्य इकट्ठा कर रही है, इसके बाद कोर्ट में अदालत में एक रिपोर्ट पेश करेगी.