पाकिस्तान में खाने का भयंकर संकट, रोटी को तरसते लोग

पाक अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ध्वस्त होती जा रही है। आतंकवाद से नापाक दोस्ती ने पाकिस्तान को बहुत नुकसान पहुंचाया है और हालात बद से बदतर हो चुके हैं। बढ़ती महंगाई से पाकिस्तान के लोग पहले से ही परेशान थे, अब यहां आटे की भी किल्लत हो गई है। कई शहरों में आटे की कीमत 70 रुपये प्रति किलो या उससे भी ज्यादा पहुंच चुकी है। पाकिस्तान के चारों प्रांतों सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा आटे की किल्लत से जूझ रहे हैं।
खैबर पख्तूनख्वा में तो हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि नानबाइयों (नान बेचने वाली दुकानों) ने हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया है। पेशावर में ढाई हजार से ज्यादा नानबाइयां हैं। हालांकि इन दुकानों में से कई बंद हो चुकी हैं। दुकान मालिकों का कहना है कि 2013 में 170 ग्राम आटे से बनी नान की कीमत 10 रुपये तय की गई थी। इसे बढ़ाया नहीं गया, जबकि आटे की कीमत आसमान छू रही है। उनका कहना है कि दाम बढ़ाने चाहिए लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। वहीं सिंध में प्रशासन ने आटे की कीमत 43 रुपये प्रति किलो तय कर रखी है। लेकिन कई स्थानों यह 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है।

पाकिस्तान में उम्मीद के मुताबिक फसल नहीं हुई, बावजूद इसके पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार ने गेहूं का अत्यधिक निर्यात किया। साथ ही ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल और खराब मौसम के कारण भी आपूर्ति में व्यवधान पड़ा है। उस पर अफगानिस्तान के साथ लगती खुली सीमा से गेहूं की तस्करी के कारण भी लोगों को आटे और गेहूं के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उस पर खराब प्रबंधन और सरकारी स्तर पर तालमेल की कमी ने कम आय वाले आबादी समूहों को संकट में डाल दिया है। पाकिस्तान ने पहले गेहूं का अत्यधिक निर्यात किया और अब उसने आयात का फैसला किया है। सोमवार को पाकिस्तान ने 3 लाख टन गेहूं के आयात को मंजूरी दी है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि यह किल्लत अफगानिस्तान को 40 हजार टन गेहूं के निर्यात के कारण पैदा हुई है।

1948-49 में पाकिस्तान का करीब 56 फीसद निर्यात और करीब 32 फीसद आयात भारत से होता था। यहां तक की पाकिस्तान 1955-56 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी था। वहीं 1947 से 1965 के बीच दोनों देशों के बीच 14 व्यापारिक समझौते हुए थे। जिनमें दोहरा कर, विमान सेवाएं और बैंकिग जैसे क्षेत्र शामिल रहे। पाकिस्तान का आम आदमी महंगाई से भी परेशान है। देश की महंगाई दर साल भार में करीब दो गुनी हो चुकी है। जनवरी 2019 में यह 7.2 फीसद थी, वहीं जुलाई में 10.32 फीसद और दिसंबर में 12.42 फीसद हो गई। इसका सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को होता है जो रोजाना मेहनत करते हैं और रोजाना खाना ढूंढते हैं। यह संकट भी सबसे ज्यादा ऐसे ही लोगों को परेशान कर रहा है।

पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री शेख राशिद ने असंवेदनशील बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर में ज्यादा रोटी खानी चाहिए। आगे स्पष्ट किया कि ऐसा मैं नहीं, शोध कहता है। उन्होंने कहा कि इन दिनों आटा, बिजली और गैस के दाम बढ़े हैं। थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है। सरकार को समय देना चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1