समाजवादी पार्टी (SP) के वरिष्ठ नेता आजम खान की मंगलवार को जेल से रिहाई हो गई है. करीब 23 महीने जेल में रहने के बाद बाहर आने वाले आजम खान की रिहाई ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. हालांकि, उनके आगे का सियासी सफर आसान नहीं होगा. कानून के जानकारों के मुताबिक, अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के कारण आजम खान के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरना फिलहाल असंभव है.
परिवार की राजनीति पर भी असर
आजम खान ही नहीं, उनकी पूर्व सांसद पत्नी तंजीन फातिमा और पूर्व विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के लिए भी चुनावी रास्ता चुनौतीपूर्ण है. तीनों को पहले ही अदालत से सजा मिल चुकी है, इसलिए तीनों 2027 के चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, उनके दूसरे बेटे अदीब आजम और पुत्रवधू सिदरा चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं.
सियासी करियर पर लगती रहेगी निगरानी
SP सरकार में आजम खान का दबदबा काफी रहा था. उन्हें बड़े मुस्लिम सियासी चेहरे के तौर पर देखा जाता था और उन्हें ‘सुपर सीएम’ तक कहा गया. लेकिन 2017 में यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के आने के बाद आजम खान की मुश्किलें बढ़ी.
किन अपराधों में शामिल?
आजम खान की मुश्किलें 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान और बढ़ीं. उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह सहित अन्य अफसरों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था. इसके चलते उन पर भड़काऊ भाषण देने का मुकदमा दर्ज हुआ और अदालत ने उन्हें तीन साल की कैद और 6,000 रुपये जुर्माना देने की सजा सुनाई. इसके अलावा, मशीन चोरी, सड़क रोकने, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, और डूंगरपुर जबरन बेदखली जैसे मामलों में भी उनकी सजा हो चुकी है.
बेटे और पत्नी के खिलाफ केस दर्ज
अब्दुल्ला आजम को भी कई मामलों में सजा हुई है, जिसके कारण उनकी दो बार विधायकी चली गई. तंजीन फातिमा को भी पति और बेटे के साथ कई मामलों में सजा मिल चुकी है. 2022 तक चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार आजम खान, उनके बेटे और पत्नी के खिलाफ कुल 165 मामले दर्ज थे, जिनमें से आजम पर 104 केस थे.
भविष्य की राजनीति पर सवाल
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि इन सजा प्रकरणों के कारण फिलहाल आजम खान, उनके बेटे और पत्नी चुनावी राजनीति में सक्रिय नहीं हो सकते. वहीं, परिवार के अन्य सदस्य भविष्य में चुनाव लड़ने की संभावना रखते हैं, जिससे आजम खान की सियासी विरासत को नई दिशा मिल सकती है.
