Atal Bihari Vajpayee Birthday : 13 दिन और 13 महीने में गिर गई सरकार… फिर भी नहीं मानी हार, ऐसे बने ‘अटल’

जब पूर्व पीएम अटल वाजपेयी सदन में बोलते थे तो दुनिया उन्हें ध्यान से सुनती थी. वे अपनी कविताओं के जरिए लोगों में ऊर्जा भरने की ताकत रखते थे और कई बार वे सदन में विपक्ष को अपनी कविताओं से जवाब देते थे.

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन है. पूर्व पीएम का जन्मदिन के मौके पर देश भर में कई आयोजन किए जा रहे हैं. भारतीय राजनीति उनका एक ऐसा नाम था, जिसे कोई चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकता था. प्रखर वक्ता और सशक्त नेता की छवि वाले पूर्व पीएम अटल बिहारी से पाकिस्तान कांपता था. जब वे सदन में बोलते थे तो दुनिया उन्हें ध्यान से सुनती थी. वे अपनी कविताओं के जरिए लोगों में ऊर्जा भरने की ताकत रखते थे और कई बार वे सदन में विपक्ष को अपनी कविताओं से जवाब देते थे.

साल 1924 में एक बच्चे का जन्म हुआ

एक तरफ पूरी दुनिया क्रिसमस के जश्न में डूबी हुई थी, वहीं दूसरी तरफ 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक बच्चे का जन्म हुआ. उस वक्त किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ये बच्चा आगे चलकर भारतीय राजनीति में इतना बड़ा बदलाव लाएगा, जो इतिहास बन जाएगा. उनके परिवार वाले कहते थे कि उनका दिमाग बचपन से ही बहुत तेज़ था. वह पढ़ने-लिखने में बहुत तेज़ थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर से ली और स्नातक की पढ़ाई विक्टोरिया कॉलेज, ग्वालियर से पूरी की. पूर्व पीएम को हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं का अच्छा जानकार माना जाता था.

भारतीय राजनीति में कैसे हुई एंट्री?

उनका राजनीतिक सफर कॉलेज के दौरान ही शुरू हो गया था. वर्ष 1942 में वे भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गये. इसी दौरान वे संघ के काफी करीब आये. इंदिरा सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी खुलकर अपने विचार रखते थे और आपातकाल के दौरान विरोध करने वाले नेताओं में अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सबसे आगे था. साल 1991, 1996, 1998 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते. 1996 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की, बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.

मात्र 13 दिनों ही गिर गई सरकार

उस दौरान बीजेपी ने 161 सीटें जीती थीं और बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया था. यहां तक कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भी प्रधानमंत्री पद की शपथ ली लेकिन दुर्भाग्य से उनकी सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और जिसके कारण महज 13 दिनों में ही सरकार गिर गई. आपको बता दें कि यह भारतीय इतिहास में किसी प्रधानमंत्री का सबसे छोटा कार्यकाल है.

13 महीने बाद देना पड़ा इस्तीफा

फिर साल 1998 में मध्यावधि चुनाव हुए और एक बार फिर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और सबसे बड़े एनडीए गठबंधन के रूप में भी उभरी. इस दौरान भी अटल वाजपेयी दूसरी बार पीएम बने लेकिन पूर्व पीएम का यह कार्यकाल बहुत लंबा नहीं था. महज 13 महीने के अंदर ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. पूर्व पीएम ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐसी योजनाएं चलाईं जिससे गरीब परिवारों के जीवन में सीधे तौर पर बदलाव आया.

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