भारत के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रहे अरुण जेटली को लोग आज भी उनके नेक काम के लिए याद करते हैं। अरुण जेटली अपने शांत स्वभाव और अपने विचारों के लिए लोगों के बीच काफी ज्यादा मशहूर थे। अब उनकी इसी कड़ी को उनके परिवार वाले आगे बढ़ा रहे हैं और परिवार वालों ने पेंशन लेने से इनकार कर दिया है। पेंशन ना लेने के पीछे की एक खास वजह भी है।
अरुण जेटली के परिवार वालों ने उपराष्ट्रपति को पत्र लिखकर पेंशन लेने से मना किया है। इसके लिए उनकी पत्नी ने राज्यसभा के उपसभापति एम वेंकैया नायडू को एक पत्र लिखा है। जिसमें उनका कहना है कि भाजपा नेता को मिलने वाली पेंशन उन कर्मचारियों को दान कर दी जाए जिनकी तनख्वाह कम है। परिवार को पेंशन के तौर पर लगभग तीन लाख रुपये मिलते।

संगीता जेटली ने वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर कहा, ‘जिस महान कार्य को अरुण किया करते थे उनके उसी मार्ग पर चलते हुए मैं संसद से अनुरोध करती हूं कि एक दिवंगत सांसद के परिवार को मिलने वाली पेंशन को उस संस्थान के जरुरतमंद लोगों को दान कर दिया जाए जिसकी जेटली ने दो दशकों तक सेवा की है। यानी राज्यसभा के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को दी जाए। मुझे पूरा विश्वास है कि अरुण की भी यही इच्छा होती।’

पत्र की एक प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजी गई है। भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार अरुण जेटली ने 66 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स अस्पताल में 24 अगस्त को अंतिम सांस ली थी। वह यहां कई दिनों तक आईसीयू में भर्ती थे। उनके पास वित्त मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। इसके अलावा वह राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। वह चार बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेटली को अपना अमूल्य मित्र बताया था। वह एक ऐसे नेता थे जिसके पक्ष और विपक्ष दोनों में मित्र थे। पत्र में संगीता जेटली ने आगे लिखा, ‘अरुण हमेशा से एक परोपकारी रहे हैं। अपने कानूनी पेशे या राजनीति में उन्होंने जो भी सफलता हासिल की उनका मानना था कि यह उन्हें गुरु, सहयोगियों के समर्थन और दोस्तों, रिश्तेदारों की शुभकामनाओं के कारण मिली है। वह हमेशा जरुरत के समय हर किसी की मदद के लिए खड़े रहे।’