नहीं मिल सकता, दिल्ली से बाहर हूं… उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बुलावे पर मल्लिकार्जुन खरगे का जवाब

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से तमाम मसलों पर चर्चा के लिए बुलाए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब दिया है. उनका कहना है कि वह आज उनसे मुलाकात नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह दिल्ली से बाहर हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा है. उनका कहना है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों से सांसदों का सामूहिक निलंबन पूर्व निर्धारित और सरकार की ओर से पूर्व नियोजित प्रतीत होता है. उपराष्ट्रपति की ओर से तमाम मसलों पर चर्चा के लिए बुलाए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने जवाब दिया है. खरगे ने कहा कि वह फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं और उन्होंने नई बैठक का प्रस्ताव रखा है.

उन्होंने कहा कि मैं फिलहाल दिल्ली से बाहर हूं. यह मेरा विशेषाधिकार होगा और वास्तव में मेरी ड्यूटी होगी कि मैं दिल्ली वापस आते ही आपके सुविधानुसार जल्द से जल्द मिलूं. खरगे ने शीतकालीन सत्र के बाद धनखड़ के सुझाव पर भी सहमति व्यक्त की है. उनका कहना है कि इसका उत्तर खुद को संविधान, संसद, संसदीय प्रथाओं और लोकतंत्र में सहज विश्वास के प्रति सच्चा रखने में निहित है, जबकि एक सत्तावादी सरकार संसद को खत्म करने पर आमादा है.

इससे पहले राज्यसभा सभापति ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा था कि उन्होंने सदन के चैंबर में बातचीत के लिए प्रस्ताव दिया था, जिसे अस्वीकार किया गया. उपराष्ट्रपति का कहना था कि इससे उन्हें दुख पहुंचा है. वहीं, उन्होंने खरगे को पत्र लिखकर शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन को लेकर चर्चा करने का सुझाव दिया था. इसके लिए 25 दिसंबर की तारीख तय की गई.

संसद के शीतकालीन सत्र में सस्पेंड हुए 146 सांसद

इस बार संसद का शीतकालीन सत्र बेहद हंगामेदार रहा है. 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक देखने को मिली, जहां लोकसभा में विजिटर गैलरी से दो लोगों ने कूदकर स्मोक बम का इस्तेमाल किया. सुरक्षा में हुई लापरवाही को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े किए. उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के जवाब की मांग की. विपक्ष लगातार हंगामा करता रहा, जिसके चलते सदन की कार्यवाही में व्यवधान खड़ा हुआ.

राज्यसभा और लोकसभा में व्यवधान पैदा करने की वजह से विपक्ष के 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया, जिसमें लोकसभा के 100 सांसद और राज्यसभा के 46 सांसद शामिल थे. यही नहीं निलंबित सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही साथ मार्च भी निकाला. वहीं, संसद की कार्यवाही एक दिन पहले 21 दिसंबर को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई

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