Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले बढ़ेगी महागठबंधन की टेंशन! VIP के बाद वाम दलों ने मांगी इतनी सीट

बिहार महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर दलों में खींचतान जारी है। भाकपा माले पिछली बार की 19 सीटों के बदले इस बार 25 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। अन्य वाम दल भी सीटों की संख्या में वृद्धि चाहते हैं। माले ने राजद को सूचित किया है कि उन्हें कम से कम 22 जिलों में प्रतिनिधित्व चाहिए। भाकपा और माकपा भी अधिक सीटों पर दावा पेश करेंगी।

महागठबंधन में विधानसभा की सीटों को लेकर अंदरूनी संघर्ष जारी है। 2020 के चुनाव के समय हुए सीटों के बंटवारे 2025 में कई दलों को मान्य नहीं है।

नई जुड़ी विकासशील इंसान पार्टी का मुंह खुल चुका है। वह 60 सीटों की मांग कर रही है। कांग्रेस भी 70 की मांग पर डटी हुई है। इधर वाम दलों में सबसे प्रमुख भाकपा माले 19 के बदले इस बार 25 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है।

भाकपा और माकपा भी सीटों की संख्या बढ़ाना चाह रही है। तीन वाम दलों को पिछली बार 29 सीटें दी गई थी। माले ने महागठबंधन के अगुआ राजद को बता दिया है कि उसे कम से कम 22 जिलों में प्रतिनिधित्व चाहिए।

इनमें दक्षिण बिहार के छह जिले नालंदा, नवादा, जमुई, गया, औरंगाबाद और कैमूर हैं। माले ने उत्तर बिहार के जिन अप्रतिनिधत्व वाले जिलों की पहचान की है, ये हैं दरभंगा, मधुबनी, सुपौल एवं पूर्णिया।

पिछले विधानसभा चुनाव में इन जिलों में माले का कोई उम्मीदवार नहीं था। पिछली बार माले की 19 में से 12 सीटों पर जीत हुई थी। माले ने विधानसभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव की उपलब्धियों को सीट बंटवारे का आधार बनाने का आग्रह किया है।

लोकसभा चुनाव में माले की तीन में से दो सीटों पर जीत हुई थी। महागठबंधन के दलों में सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट उसी का था।

भाकपा-माकपा भी करेगी दावा

पिछली बार भाकपा को छह और माकपा को चार सीटें दी गई थी। दोनों की दो-दो सीटों पर जीत हुई। भाकपा इस बार 10 से अधिक सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है। माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने शनिवार को कहा-बीते पांच वर्षों में हमारी पार्टी की ताकत बढ़ी है।

जाहिर है, चार सीटें हमारे लिए काफी कम है। हम कम से कम 10 सीटों पर जीत की ताकत रखते हैं। वैसे हम सबका लक्ष्य भाजपा को परास्त करना है और सीटा की संख्या इस लक्ष्य के रास्ते में बाधा नहीं बनेगी।

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