बिहार में NDA की जीत ने फिर एक बार साबित कर दिया कि PM मोदी से बड़ा ब्रांड देश में नहीं है। बिहार में जब NDA मझधार में फंसती दिख रही थी तो PM मोदी खुद मैदान में उतरे और ताबड़तोड़ रैलियां कर हवा का रूख मोड़ दिया। कोरोना-बाढ़ और रोजगार की समस्या से जूझते बिहार की जनता को मोदी भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि NDA ही उनके मर्ज का इलाज है ना कि जंगलराज वाला महागठबंधन, लेकिन अब असली लड़ाई बंगाल में है।
बिहार में 15 साल की एंटी इनकमबेंसी को मोदी के पॉवर प्ले ने खत्म कर दिया। बिहार में जबरदस्त जीत के बाद BJP कार्यकर्ताओं का जोश आसमान पर है। यही जोश यही उमंग BJP के लिए बंगाल चुनाव में संजिवनी का काम करेगी। बिहार से BJP को जो चाहिए था वो मिल गया, बल्कि कहें कि बिहार ने BJP को छप्पर फाड़ जीत दी है। अब बिहार की इस जीत को बीजेपी बंगाल में दोहराना चाहेगी। अमित शाह के मिशन बंगाल में BJP की बिहार जीत अहम रोल अदा करेगी.
बिहार फतह करने के बाद अब बीजेपी डबल जोश से मिशन बंगाल में जुटेगी, जहां उनका मुकाबला ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से होगा। ऐसे में अमित शाह के मिशन बंगाल में बिहार की जीत से मिला जोश टॉनिक का काम कर सकता है।
PM मोदी और अमित शाह के लिए बंगाल सबसे अहम राज्य है, जहां बीजेपी ने पहले कभी सरकार नहीं बनाई। लिहाजा इस बार बीजेपी पूरी ताकत से बंगाल की खाड़ी में टीएमसी के तूफान को रोकने की कोशिश करेंगे। बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बिहार नतीजों को देखने के बाद इशारा कर दिया कि बंगाल में मोदी ही उनके ट्रंपकार्ड होंगे।
बिहार में जिस तरह से मोदी फैक्टर ने खेल बदल दिया। BJP उम्मीद करेगी कि बंगाल में भी PM मोदी का जादू चलेगा, इसकी तैयारियां पहले से हैं। नवरात्र में मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूजा पंडालों से जुड़े थे और बंगाल के अपने मिशन को पुख्ता करने की कोशिश की थी।
पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज.. बंगाल से सटे इन 3 जिलों में BJP का प्रदर्शन ये बताता है कि बंगाल में जीत की संभावनाएं अच्छी हैं। इन तीनों जिलों में पर मुस्लिम वोटबैंक अच्छा खासा है फिर भी BJP ने कमाल का प्रदर्शन किया है। तो क्या बिहार की यही 3 सीटें बंगाल में BJP का रास्ता खोलेंगी। कुछ ऐसे ही समीकरण बंगाल की तमाम सीटों पर बनेंगे। ऐसे में अगर BJP यहां धमाका कर सकती है तो फिर बंगाल में मुश्किल क्या है?
बंगाल फतह के लिए BJP बीते 5 सालों से लगी हुई है. यहां तक कि बिहार चुनावों से ज्यादा अमित शाह बंगाल में जोर लगा रहे हैं। बंगाल का किला ढहाना शाह का सबसे बड़ा चुनावी मिशन है। लेकिन क्या तेजस्वी और राहुल गांधी की जोड़ी की तरह ममता बनर्जी के मात देना BJP के लिए इतना आसान होगा। क्योंकि ममता बनर्जी राजनीति की माहिर खिलाड़ी हैं।
मिशन बंगाल पूरा करने के लिए अमित शाह जहां लंच डिप्लोमैसी कर रहे हैं वहीं मोदी खुद को मां काली का भक्त बता रहे हैं. बंगाल में अमित शाह नए समीकरण बनाने में जुटे हैं। 6 नवंबर को जब शाह अपने दो दिन के दौरे पर बंगाल पहुंचे तो उन्होंने 180 से ज्यादा संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान नए सामाजिक समीकरण बनाने पर जोर दिया, शाह ने बंगाल की जनता को सोनार बंगला का सपना भी दिखाया।
बिहार की ये जीत BJP के लिए दिवाली गिफ्ट से कम नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि क्या बंगाल में सोनार बंगला का सपना इतनी आसानी से BJP बेच पाएगी। क्या बिहार के समीकरण बंगाल में BJP को जीत दिला पाएंगे? क्योंकि बिहार जरूर बंगाल से सटा है पर दोनों की सियासी जमीन में बहुत फर्क है। बंगाल में BJP की सबसे मजबूत पकड़ 13% हिंदी भाषी मतदाताओं पर है। जिनमें 8% मतदाता UP और बिहार के हैं। पहले ये कांग्रेस के साथ थे और अब BJP के साथ हैं।
लेकिन इन 13% वोटरों को इतनी आसानी से ममता बनर्जी BJP के खेमे में नहीं जाने देंगी। छठ पूजा में जिस तरह से हिंदी भाषी वोटरों को लुभाने के लिए उन्होंने हिंदी सेल को आगे किया था। उससे दीदी ने संकेत कर दिया है कि बंगाल में चुनावी जंग एक-एक वोट के लिए होगी और हर वो तरीका अपनाया जाएगा जो जीत दिला दे।
असदुद्दीन ओवैसी की छोटी सी पार्टी AIMIM ने बिहार में बड़ा कमाल किया है। ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में 5 सीटें जीत ली हैं. बिहार में अब तक के चुनावों में ओवैसी की पार्टी का ये सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इस जीत से खुश ओवैसी ने अब बंगाल में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।