ADGP YS Puran Commits Suicide: हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मौजूदा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) वाई.एस. पूरन ने मंगलवार को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. इस घटना से पुलिस विभाग सदमे में है. बताया जा रहा है कि वाई.एस. पूरन की पत्नी अमनीत पी. कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी हैं. फिलहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. इसी क्रम में चलिए जानें कि आखिर वाईएस पूरन की कितनी सैलरी थी.
वरिष्ठ स्तर के होते हैं अधिकारी
भारत में पुलिस विभाग में आईपीएस अधिकारियों की तनख्वाह उनके पद, अनुभव और जिम्मेदारी के हिसाब से तय की जाती है. इनमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) का पद एक वरिष्ठ स्तर का होता है, जो राज्य पुलिस सेवा के शीर्ष पदों में गिना जाता है. यह पद न केवल अधिकार और प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है बल्कि इसके साथ आकर्षक वेतन और सुविधाएं भी मिलती हैं.
कितना होता है मूल वेतन
सरकारी वेतनमान के अनुसार, एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक का मूल वेतन लगभग 2,05,400 रुपये प्रति माह होता है. कुछ मामलों में यह आंकड़ा 2,05,000 से 2,05,400 के बीच भी होता है, जो उनकी सेवा अवधि और वेतन स्तर के आधार पर तय किया जाता है. यह वेतन सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत निर्धारित है.
भत्ते और सुविधाएं
मूल वेतन के अलावा, ADG रैंक के अधिकारी को कई तरह के सरकारी भत्ते और लाभ मिलते हैं. इनमें प्रमुख हैं, महंगाई भत्ता महंगाई दर के हिसाब से समय-समय पर बढ़ाया जाता है. मकान किराया भत्ता अधिकारी के तैनाती क्षेत्र पर निर्भर करता है और उनके आवास खर्च में सहायता करता है. यात्रा और वाहन भत्ता आधिकारिक कार्यों के लिए यात्रा करने या सरकारी वाहन की सुविधा देना. अधिकारियों को सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य योजनाओं के तहत चिकित्सा सुविधा भी दी जाती है.
कुल वेतन
सभी भत्तों और लाभों को जोड़ने पर एक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक का मासिक वेतन 2.5 लाख से 3 लाख रुपये तक पहुंच सकता है. यह राशि राज्य के अनुसार थोड़ी अलग हो सकती है, क्योंकि कुछ राज्यों में अतिरिक्त सुविधाएं या स्पेशल अलाउंस भी दिए जाते हैं.
अनुभव और पोस्टिंग का प्रभाव
ADGP की सैलरी उनकी सेवा के वर्षों, वरिष्ठता और तैनाती स्थान के आधार पर भी अलग हो सकती है. जैसे कि मेट्रो शहरों या संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात अधिकारियों को अतिरिक्त भत्ता मिल सकता है. वहीं, केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों को केंद्र के हिसाब से वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं.