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RLD समेत 6 राज्य स्तरीय पार्टी पार्टियों की मान्‍यता रद्द कर सकता है चुनाव आयोग

देशभर में  बीजेपी का दबदबा बढ़ने के साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों के सामने अस्तित्व का खतरा आ गया है। लगातार दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा छूने के चलते देश की राजनीति में गठबंधन का फॉर्मूले कमजोर होता जा रहा है। इसका सीधा असर कई राजनीतिक दलों पर पड़ रहा है। बीजेपी की आंधी में कई राष्ट्रीय के साथ क्षेत्रीय पार्टियों का खाता तक नहीं खुल पा रहा है। तीन राष्ट्रीय पार्टियों के बाद अब 6 राज्यों में 6 राज्य स्तरीय पार्टियों की मान्यता खतरे में है।  इनमें उत्तर प्रदेश में अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल और अम्बुमणी रामदौस की पट्टली मक्कल काची (पीएमके) भी शामिल है। छह पार्टियों ने राज्य स्तरीय पार्टी होने के लिये आवश्यक 5 शर्तों में से किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया है।

तीन राष्ट्रीय पार्टियों के बाद अब 6 राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टियों की मान्यता पर भी खतरे की तलवार लटकी हुई है। इसमें अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और अम्बुमणि रामदास की पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) भी शामिल है।

दरअसल, इन 6 पार्टियों ने राज्य स्तरीय पार्टी होने के लिए आवश्यक 5 शर्तों में से एक शर्त को भी पूरा नहीं किया है। जिसकी वजह से उनकी राज्य स्तरीय पार्टी की मान्यता खतरे में है। उत्तर प्रदेश में आरएलडी का राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खतरे में है तो वहीं पश्चिम बंगाल में रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की मान्यता खतरे में है, जबकि केरल में इस राज्य स्तरीय पार्टी की मान्यता पर कोई खतरा नहीं है।

इसके अलावा आंध्र प्रदेश में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खतरे में है, जबकि तेलंगाना में टीआरएस की मान्यता पर खतरा नहीं है। मिजोरम की मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (एमपीसी) का राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खतरे में है तो वहीं तमिलनाडु में पीएमके का राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा खतरे में है।

उत्तर पूर्व की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) भी आवश्यक मापदंड को पूरा नहीं करती इसलिए पार्टी की मान्यता खतरे में है। हालांकि निर्वाचन आयोग सभी 6 पार्टियों को सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का आखिरी मौका देगा। गौरतलब है कि इससे पहले चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में सभी पार्टियों ने गुहार लगाई थी कि उनकी राज्य स्तरीय पार्टी की मान्यता खत्म न की जाए और उन्हें अगले चुनाव तक अपनी लोकप्रियता सिद्ध करने का अवसर दिया जाए।

बता दें कि एनसीपी, टीएमसी और सीपीआई ने राष्ट्रीय मान्यता के लिए आवश्यक मापदंडों को पूरा नहीं किया है। जिसके लिए आगे की प्रक्रिया पर चुनाव आयोग काम कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) से राष्ट्रीय पार्टी का तमगा छिन सकता है। 

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