Kashmir घाटी में 50 हजार मंदिरों को खोलने का ऐलान

घाटी में बंद पड़े 50 हजार मंदिरों को खोलने के केंद्र के एलान से कश्मीरी पंडितों सहित देशभर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। बीती सदी के नौवें दशक में आतंकियों ने कश्मीर में मंदिरों को बहुत नुकसान पहुंचाया था। तब से अनेक मंदिर बंद पड़े हैं। जीवन के 65 वसंत पार कर चुके स्थानीय कश्मीरी पंडित चुन्नी लाल कौल ने कहा कि श्रीनगर में करफियाली मुहल्ले में रघुनाथ मंदिर में 30 साल पहले दिन में नहीं, बल्कि रात को चहल-पहल होती थी। यह मंदिर जम्मू के रघुनाथ मंदिर से ज्यादा भव्य था। खैर, आज फिर उम्मीद बंधी है कि यहां जल्द जय श्रीराम का जयघोष होगा।

कश्मीर में टूटे मंदिरों का सर्वे होगा

कश्मीर से पलायन न करने वालों में शामिल चुन्नी लाल हिंदू वेलफेयर सोसायटी के सचिव हैं। उन्होंने कहा, आज जब मैंने टीवी पर खबर सुनी कि कश्मीर में टूटे मंदिरों का सर्वे होगा तो मैं खुद को रोक नहीं पाया और यहां चला आया। यहां मूर्तियां थीं, जिन्हें आतंकियों ने झेलम दरिया में फेंक दिया। सैकड़ों धार्मिक पांडुलिपियां थीं, जो जला दीं। आज तो मंदिर में आने का रास्ता तक आसानी से नजर नहीं आता।

मंदिरों की मुक्ति की आस

कश्मीर में जब आतंकवाद चरम पर था, तब अनेक नए-पुराने मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया। कश्मीरी पंडितों को निशाने बनाने के साथ बड़ी संख्या में मंदिरों और मठों को नुकसान पहुंचाया गया। उन पर कब्जे भी कर लिए गए। गृह राज्य मंत्री का बयान सामने आते ही यहां हिंदू समुदाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वर्ष 1989 में आतंकियों की धमकियों के बावजूद कश्मीर से पलायन न करने वाले कुछ पंडितों ने कहा कि अब फिर उम्मीद बंधी है कि यहां मंदिरों के बंद किवाड़ खुलेंगे, मंदिर भी उसी तरह आजाद होंगे जिस तरह से हम लोग अनुच्छेद 370 से आजाद हुए हैं।

कर रखा है कब्जा

कश्मीर में धर्म के अंधे जिहादी तत्व जब भी मौका मिलता रहा है, मंदिरों को निशाना बनाते रहे हैं। पाकिस्तान में भुट्टो को फांसी हुई हो या फिर जिया उल हक की मौत, पाक समर्थक तत्वों ने मंदिरों को तोड़ा। वर्ष 1986 में कश्मीर में कई मंदिरों को जलाया गया। वर्ष 1989 में जब आतंकवाद ने कश्मीर में पांव जमाए तो जिहादी तत्व और कट्टरपंथियों की भीड़ हमेशा मंदिर में घुसकर लूटपाट करती। अधिकांश मंदिरों की जमीन पर कब्जा हो गया।
हवल इलाके में स्थित बेताल भैरव मंदिर की 30 कनाल जमीन थी, जो आज दो कनाल तक सिमट गई है। लालचौक में गुरुद्वारे के पास स्थित एक मंदिर जो अब नजर नहीं आता, उसकी चारों तरफ दुकानें हैं। वसंत बाग स्थित दो मंदिर ढांचे तक सीमित रह चुके हैं। हनुमान मंदिर के महंत कामेश्वर दास ने कहा कि यहां हमारे मंदिर की बहुत सी संपत्ति थी, जो खुर्द-बुर्द हो चुकी है। सरकार के एलान से हम कह सकते हैं कि यहां मंदिर बच जाएंगे और हमारी संस्कृति भी।

मंदिर की जमीन पर कब्रिस्तान

श्रीनगर में हरि सिंह हाईस्ट्रीट में स्थित ऐतिहासिक पंचमुखी हनुमान मंदिर के बाहर खड़े हेमंत कुमार ने कहा कि कश्मीर में जहां कभी सुबह शाम हर इलाके में पूजा की घंटियों की आवाज आती थी, अब गिने-चुने मंदिर ही नजर आते हैं।अगर आप क्षीरभवानी, शंकराचार्य मंदिर, गुप्त गंगा, मंजगाम, त्रिपुर सुंदरी, सूर्ययार, रानी मंदिर, गणपतयार मंदिर या फिर हनुमान मंदिर को छोड़ दें तो शायद ही कोई अन्य मंदिर आपको खुला नजर आएगा।
मैं आपको कई ऐसे स्थान दिखा सकता हूं, यहां कुछ साल पहले तक मंदिर था, आज नहीं है। दूर जाने की जरूरत नहीं है, यहां आप यह सीआरपीएफ का बंकर देख रहे हैं, इसके पास लगा बोर्ड भी पढ़ लें। कभी यहां टांगा स्टैंड था, फिर टैक्सी स्टैंड बना। आज इस पर कब्रिस्तान की जमीन होने का बोर्ड लग चुका है..।

सरकार का फैसला ऐतिहासिक

ऑल पार्टी माइग्रेंट कैंप को-ऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन विनोद पंडित ने कहा कि हम तो बरसों से मांग कर रहे हैं कि कश्मीर में हमारे धर्मस्थलों को जिन्हें क्षति पहुंचाई गई है उनका जीर्णोद्धार हो। सरकार का फैसला ऐतिहासिक है। पनुन कश्मीर के डॉ. अजय चुरुंगु ने कहा कि यह बड़ी पहल है। कश्मीर में मदिरों को सिर्फ कश्मीर से सनातन संस्कृति को मिटाने के लिए और सनातन संस्कृति को मानने वालों का मनोबल तोड़ने के लिए ही तोड़ा जाता रहा है। सरकार यदि मंदिरों की जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को हटाती है तो कश्मीर में कश्मीरियत व सनातन परंपराओं की बहाली होगी।

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