26 Jan Tractor Parade: 1952 में शान से निकली थी, 2021 में विरोध में निकालने की तैयारी

नए किसान कानून (New Farm Law) को लेकर सरकार और किसान आमने सामने हैं। तकरीबन दो महीने से किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग लेकर दिल्ली से सटी सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है मगर कोई हल नहीं निकला है। अब किसान 26 तारीख को ट्रैक्टर मार्च ( 26 January Tractor Parade) निकालने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। अगर ऐसा होता है तो ये कोई पहली बार नहीं होगा। इससे पहले भी गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक परेड में ट्रैक्टर की परेड निकल चुकी है। मगर फर्क इतना था कि ये विरोध में निकल रही है और वो शान से निकली थी।

दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले 55 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन को लीड कर रहे किसानों के संगठनों भी इस बार 26 जनवरी पर दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा कर दी है। दरअसल, सोशल मीडिया पर खा़क छानते हुए एक तस्वीर पर निगाहें टिक गईं। ये तस्वीर 1952 गणतंत्र दिवस परेड की बताई जा रही है। इस तस्वीर को देखने के बाद कुछ इतिहासी सफों को पलटा। तब वहां पर जो नजारा दिखा वो हकीकत में हिंदुस्तान की तासीर थी।

26 जनवरी को संविधान लागू किया गया था। आजादी के बाद से ही हर साल ये परेड बहुत ही खास होती है। राजपथ पर होने वाली इस परेड में देश के हजारों नागरिकों के साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विदेशी मेहमान भाग लेते हैं। परेड में भारतीय सेना के शौर्य और भारतीय संस्कृति की छाकियां निकाली जाती है। हालांकि कोरोना की वजह से इस बार कोई विदेशी मेहमान यहां शिरकत नहीं कर रहा है। मगर हर साल किसी न किसी देश का मुखिया बतौर मुख्य अतिथि यहां पर शिरकत करता रहा है।

दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नैशनल स्टेडियम) में हुई थी। तब के इर्विन स्टेडियम के चारों तरफ चहारदीवारी न होने के कारण उसके पीछे पुराना किला साफ नज़र आता था। साल 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ। राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू हुई।

साल 1952 से बीटिंग रिट्रीट का कार्यक्रम शुरू हुआ। इसका एक समारोह रीगल सिनेमा के सामने मैदान में और दूसरा लालकिले में हुआ था। सेना बैंड ने पहली बार महात्मा गांधी के मनपसंद गीत ‘अबाइड विद मी’ की धुन बजाई और तभी से हर साल यही धुन बजती है। लेकिन इसी परेड में ट्रैक्टर भी शामिल हुए थे। इन ट्रैक्टरों में भारतीय संस्कृति की झलक उकेरी गई थी। जिसमें मशीन का चिन्ह भी शामिल किया गया था। इसके अलावा इन्हीं ट्रैक्टर झांकी में सफेद कबूतर को भी दर्शाया गया था। जिसका आशय था कि ये मुल्क शांति पसंद करता है।

कोलकाता में मौजूद अखिल भारतीय किसान संघर्ष एवं समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव ने एनबीटी से खास बातचीत में बताया कि पूर्व सैनिकों के साथ हमने एक खाका तैयार किया है, जिसके आधार पर कुछ ट्रैक्टरों को विशेष रूप से तैयार किया जाएगा। हमारी कोशिश है कि जिस तरह राजपथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकियां निकलती हैं, उसी तरह हमारी ट्रैक्टर परेड में भी देश हर राज्य की कम से एक झांकी हो, जिसमें हम वहां के किसानों की दशा को दिखाएंगे।

जिस तरह झांकियों के साथ लोग चाहते हैं, उसी तरह इन झांकियों के साथ भी उन राज्यों के किसानों की वेष-भूषा में लोग चलेंगे। हर ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा और किसान संगठनों के झंडे लगाए जाएंगे। साथ में देशभक्ति के गीत भी चलाए जाएंगे। ट्रैक्टर परेड में पूर्व सैनिक, मेडल विजेता, खिलाड़ी और महिलाओं के अलावा किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को शामिल करने का भी प्रयास जारी है। साथ ही पूरी दिल्ली की जनता को खुला न्यौता दिया जाएगा कि लोग अपने घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आएं और ट्रैक्टर परेड और किसानों की झांकियों को देखें। इसके लिए उन्हें कोई वीआईपी निमंत्रण या टिकट लेने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

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