माधुरी कानितकर ने शनिवार को सेना में लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाल लिया। सशस्त्र बलों में वह इस रैंक पर पहुंचने वाली तीसरी महिला हैं। उनके पति राजीव भी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल हैं। इस तरह Madhuri और राजीव देश के पहले ऐसे पति-पत्नी हैं जो सेना में लेफ्टिनेंट जनरल हैं।
Madhuri बाल रोग विशेषज्ञ हैं और पिछले 37 साल से भारतीय सेना में कार्यरत हैं। उन्हें पिछले साल लेफ्टिनेंट जनरल पद के लिए चुना गया था, लेकिन पद खाली नहीं होने के चलते उन्होंने शनिवार को यह पद ग्रहण किया। लेफ्टिनेंट जनरल कानितकर ने नई दिल्ली में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत डिप्टी चीफ, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (डीसीआइडीएस) मेडिकल का कार्यभार संभाला।
सशस्त्र बलों में सबसे पहले नौसेना में वाइस एडमिरल डॉ. पुनीता अरोड़ा को यह उपलब्धि हासिल हुई थी। वायुसेना की महिला एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय इस पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला हैं। अब Madhuri कानितकर ने यह उपलब्धि हासिल की है।
Madhuri कानितकर AFMC में टॉपर रही हैं और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उन्हें प्रेसिडेंशियल मेडल से भी नवाजा गया। कानितकर ने एम्स से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की है। कानितकर प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक और तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी हैं।
Madhuri ने साल 2017 में AFMC की पहली महिला डीन के रूप में काम संभाला। पुणे में AFMC के डीन के रूप में 2 साल से अधिक समय पूरा करने के बाद, कानिटकर ने पिछले साल मेजर जनरल मेडिकल,उधमपुर के तौर पर जिम्मेदारी संभाला था।
SC ने कहा था कि सेना में कार्यरत सभी महिला अधिकारियों पर परमानेंट कमीशन लागू होगा। कोर्ट ने केंद्र को 3 महीने के अंदर सेना की सभी महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने का निर्देश दिया था। कोर्ट का ये फैसला दिल्ली HC के साल 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर सुनवाई करते हुए आया था।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र की उस दलील को नकार दिया था , जिसमें उसने महिला अधिकारियों की ‘शारीरिक क्षमता’ और सामाजिक मान्यताओं का हवाला दिया था। बेंच ने केंद्र से कहा था कि सैन्य बलों में लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए मानसिकता बदलने की जरूरत है। मालूम हो कि हाल ही में SC ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।