पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. 24 अगस्त 2019, दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली. अरुण जेटली को कुछ दिन पहले ही सांस लेने में दिक्कत के कारण AIIMS में भर्ती कराया गया था. पिछले कुछ दिनों से उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही थी. बता दें कि जेटली काफी समय से एक के बाद एक बीमारी से लड़ रहे थे. इसी के चलते उन्होंने लोकसभा चुनाव, 2019 में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने का आग्रह किया था.
मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने के लिए लिखा था पत्र
जेटली ने पत्र में लिखा था कि 18 महीने से मेरा स्वास्थ्य खराब चल रहा है. मैंने चुनाव प्रचार की सभी जिम्मेदारियों को निभाया. अब अपनी सेहत और इलाज पर ध्यान देना चाहता हूं. दरअसल, उन्हें अप्रैल, 2017 में एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां वह डायलसिस पर थे. इसके बाद 14 मई, 2018 को दिल्ली के एम्स में उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. उनकी गैरमौजूदगी में रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके बाद जेटली ने 23 अगस्त, 2018 को फिर वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल ली.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद हुआ सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अरुण जेटली को बाएं पैर में रेयर कैंसर (सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा) हो गया. उन्हें इसके ट्रीटमेंट के लिए जनवरी, 2019 में अमेरिका जाना पड़ा, जहां इसकी सर्जरी की गई. इसके बाद उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसमें वह काफी कमजोर दिख रहे थे. दरअसल, बीजेपी से राज्यसभा सदस्य स्वप्न दास गुप्त ने कैंसर का इलाज कराकर लौटे अरुण जेटली से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने जेटली को अपनी किताब भी दी. मुलाकात के बाद किए ट्वीट में स्वप्न दास गुप्त ने एक तस्वीर शेयर की. जेटली की यही तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और उनकी सेहत को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई. इसके बाद वह लोकसभा चुनाव, 2019 के प्रचार अभियान में सार्वजनिक मंचों पर भी नजर नहीं आए.
सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा रेयर कैंसर है. यह तब होता है, जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं. यह कोशिकाओं में ट्यूमर के रूप में विकसित होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगता है. यह बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है, खासकर कंधों और पैरों को अधिक प्रभावित करती है. सर्जरी के जरिये इसे निकाला जा सकता है. इसके अलावाा रेडिएशन और कीमोथेरेपी के जरिये भी इसका इलाज संभव है, लेकिन यह साइज, प्रकार और जगह पर निर्भर करता है.
हो चुकी थी गैस्ट्रिक बाईपास और हार्ट सर्जरी
सितंबर, 2014 में डायबिटीज मैनेज करने के लिए जेटली की गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी की गई थी. वहीं, 2005 में उनका दिल से जुड़ा ऑपरेशन भी किया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) जेटली से मिलने के लिए शुक्रवार रात एम्स पहुंचे थे. मोदी-शाह के अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी उनका हालचाल जानने एम्स गए थे.