Coronavirus की वजह से दुनियाभर के देश इस समय Lockdown में चल रहे हैं। कहीं मामले कम होने के बाद नियमों में कुछ ढील दी गई है तो कहीं पर अब भी सख्ती बरकरार है। लेकिन इस बीच एक रिपोर्ट ने सभी के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। United Nations Population Fund की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में Lockdown के दौरान के गर्भनिरोधक उपायों की कमी की वजह से कम और मध्यम आय वाले देशों में 70 लाख अवांछित गर्भधारण हो सकता है।
अगर भारत के केस में देखा जाए तो ये एक बड़ी समस्या वाली बात हो सकती है। भारत आबादी के मामले में अब सिर्फ चीन से ही पीछे हैं। ऐसे में अगर कोरोना में हुए Lockdown की वजह से भारत में बेबी बूम आता है तो कई स्तर पर परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारत में 3 महीने तक Lockdown रहेगा तो ये बूम आने की आशंका और ज्यादा प्रबल हो जाएगी।
हालांकि रिपोर्ट के अनुसार प्रेगनेंसी के ज्यादातर मामले गांवों से आ सकते हैं। इसका कारण बताया गया है कि शहरी इलाकों में गर्भनिरोधक उपायों की उपलब्धता, नौकरियों को लेकर मानसिक उलझन और साक्षरता अधिक होने की वजह से प्रेग्नेंसी के मामले कम सामने आ सकते हैं। लेकिन गांवों में ये संख्या बढ़ सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि ये इकलौती रिपोर्ट है जो Lockdown के दौरान पैदा होने वाले बच्चों पर दी गई है। इसके अलावा भी UNICEF ने एक रिपोर्ट दी है जिसनके मुताबिक भारत में मार्च 2020 से लेकर दिसंबर 2020 तक दो करोड़ बच्चे पैदा होंगे।
UNICEF के मुताबिक Coronavirus के साये में दुनिया भर में करीब 116 मिलियन बच्चे पैदा होंगे। ये भी अनुमान है कि जनवरी-दिसंबर 2020 के दौरान भारत में 2 करोड़ बच्चों का जन्म होगा। यहां तक कि धनी देश भी इस संकट से प्रभावित होंगे। जन्म की अनुमानित संख्या के मामले में अमेरिका छठवें नंबर पर है। यहां 3.3 मिलियन से अधिक बच्चों का जन्म 11 मार्च और 16 दिसंबर के बीच होने का अनुमान है।
UNICEF ने कहा है कि 11 मार्च से लेकर 16 दिसंबर तक भारत में 2.1 बच्चों का जन्म होगा। साथ ही ये भी कहा गया है कि इस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों और उनकी मां को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है।
महामारी घोषित होने के बाद के 9 महीनों में सबसे अधिक जन्म भारत में होने की संभावना है। इस दौरान भारत के अलावा चीन (13.5 मिलियन), नाइजीरिया (6.4 मिलियन), पाकिस्तान (5 मिलियन) और इंडोनेशिया (4 मिलियन) बच्चों का जन्म होगा।
अब अगर इन दोनों रिपोर्ट को आधार बनाया जाए तो आने वाले समय में भारत कोरोना से तो जूझेगा साथ ही उसे कई अन्य स्तर पर भी जूझना होगा। जैसे यूनीसेफ की रिपोर्ट में लगाए गए अनुमान के मुताबिक मार्च से दिसंबर के बीच पैदा होने वाले बच्चों के लिए अस्पतालों में बेड की व्यवस्था करना मुश्किल काम होगा। इस वक्त अस्तपालों का ज्यादातर ध्यान कोरोना के खात्मे की तरफ होगा। साथ ही अगर Lockdown लंबा खिंचा तो अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस से लेकर अन्य कई तरह की परेशानियां खड़ी होने वाली हैं।
United Nations Population Fund की रिपोर्ट का असर भी पड़ सकता है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाना भी महिलाओं के लिए आसान नहीं होगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक इसका असर ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में होगा। अगर ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा मुश्किल महिलाओं को आने वाली है क्योंकि Lockdown की वजह से उन्हें शहर आने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि महिलाओं को इस अनचाहे गर्भधारण से बचाने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने होंगे। फैमिली प्लानिंग के तरीके समझाने होंगे. फैमिली प्लानिंग के उपायों को अतिआवश्यक चीजों की श्रेणी में डालना होगा। और भारत के ग्रामीण इलाकों में इस पहुंच ज्यादा मात्रा में करनी होगी। साथ ही ग्रामीण स्तर पर हेल्थ वर्कर्स को भी इसे लेकर आगाह करना होगा। हेल्थ केयर वर्कर्स को इस दौरान अतिरिक्त काम के लिए इंसेटिव भी प्रोवाइड कराया जाना चाहिए।