झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को वर्ष 2013 में डोरंडा में हुए 6 वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म व हत्या मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी निंदा की है. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने सरकार के जवाब को सुनने के बाद माैखिक रूप से टिप्पणी की. कहा कि हम ऐसा फैसला सुनायेंगे, जो सभी के लिए एक सीख होगी.
खंडपीठ ने पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी नाराजगी जतायी. कहा कि पुलिस मामले की छह साल से जांच कर रही है. इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद भी अब तक मामले में चार्जशीट दायर नहीं हो सकी है. दुष्कर्मी हत्यारे पुलिस की पकड़ से क्यों बाहर हैं. यह पुलिस के लिए शर्मनाक है। घटना के बाद कड़े कदम उठाये जाने चाहिए थे. देखा जाये तो पुलिस की अब तक की सफलता 5 प्रतिशत भी नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि सजा दिलाने के प्रति पुलिस इच्छुक नहीं है। जांच के नाम पर टाइम पास कर जांच को लंबा खींचा जा रहा।
अब भी पुलिस को 3 का समय चाहिए. खंडपीठ ने मामले की जांच कर रहे CID के IG को हाजिर होने का निर्देश दिया। इससे पूर्व मामले में अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि डोरंडा के दर्जी मुहल्ला में 24 अप्रैल 2013 को मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गयी थी.पुलिस 6 साल से मामले की जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है।