टेरर फंडिंग केस में दिल्ली के नामी डॉक्टर उपेंद्र कौल को NIA ने किया तलब - Archived

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जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक के सहयोगी डॉ उपेंद्र कौल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने समन भेजा है. उपेंद्र कौल दिल्ली के एक नामी डॉक्टर हैं. वह बत्रा हॉस्पिटल के चेयरमैन हैं. एनआईए ने डॉ कौल को 2017 के टेरर फंडिंग मामले में समन भेजा है. कौल को समन तब भेजा गया है जब हाल ही में उन्होंने टीवी चैनल पर जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के कदम की आलोचना की थी.

हालांकि जांच एजेंसी ने डॉक्टर उपेंद्र कौल की भूमिका का जिक्र नहीं किया है. डॉक्टर उपेंद्र कौल अनुच्छेद 370 पर हालिया बदलाव के खिलाफ हैं और राष्ट्रीय चैनलों पर मुखर रहते हैं.

2017 के टेरर फंडिंग मामले में उपेंद्र कौल को नोटिस जारी किया गया है. डॉक्टर कौल का संपर्क घाटी के कई अलगाववादी नेताओं से भी है. उनके खिलाफ भी टेरर फंडिंग मामले में जांच की जा रही है. हाल ही में अनुच्छेद 370 पर डॉक्टर कौल ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की थी.

डॉक्टर उपेंद्र कौल देश के जाने-माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ हैं. कौल कश्मीरी पंडित हैं. उन्होंने कई सरकारी अस्पतालों में हार्ट यूनिट की स्थापना की है. एम्स में भी ह्रदय रोग के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय काम किए हैं.

यासीन मलिक के सहयोगी

डॉ उपेंद्र कौल यासीन मलिक के सहयोगी हैं.यासीन मलिक पर कई आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं. 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का अपहरण और 1990 में भारतीय वायु सेना के चार जवानों की हत्या के मामले इसमें प्रमुख हैं.

एनआईए एक अरसे से कई घटनाओं की कड़ियों को जोड़ते हुए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घाटी में आतंकी गतिविधियों, सेना के जवानों पर पत्थरबाजी और स्कूल-कालेज सहित सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले में यासीन मलिक का क्या हाथ है.

यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया है. आतंकवाद के गंभीर आरोप के मद्देनजर सरकार ने जेकेएलएफ (यासीन मलिक गुट) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस संगठन के बारे में कहा जाता है कि वह जम्मू एवं कश्मीर की ‘आजादी’ का समर्थन करता है.

गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया था कि कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकालने का यासीन मलिक मास्टरमाइंड रहा है और उनके संहार के लिए जिम्मेदार है. जेकेएलएफ पर भारतीय वायुसेना के चार अफसरों की हत्या का आरोप लगता रहा है.

साथ ही उस पर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप लगा था. इससे पहले केंद्र ने जम्मू कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था.

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