2027 में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव में भले ही अभी लंबा समय बाकी है, लेकिन उससे पहले ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ी खुशखबरी दे दी है। योगी सरकार ने प्रदेश के गन्ना किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ने के दाम में 30 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बढ़ोतरी कर दी है। योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में चौथी बार गन्ना के दामों में बढ़ोतरी की है। आइए जानते है कि इस नए फैसले के बाद गन्ना किसानों को कितना फायदा होगा।
किसानों को कितना फायदा?
योगी सरकार ने बुधवार को गन्ना किसानों को ध्यान में रखते हुए बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया। सरकार ने 30 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से रेट बढ़ा दिया है। योगी सरकार के इस फैसले के बाद अगेती प्रजाति के गन्ने का दाम 400 रुपए कुंतल हो गया है। अभी तक अगेती प्रजाति का गन्ने का दाम 370 रुपए था। इसी तरह सामान्य प्रजाति के गन्ने पर भी 30 रुपए प्रति कुंतल के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है। सामान्य प्रजाति के गन्ने का दाम पहले 360 रुपए प्रति कुंतल था, जो अब बढकर 390 रुपए प्रति कुंतल हो गया है।
इस तरह अगेती और सामान्य प्रजाति के गन्ने पर गन्ना किसानों को भरपूर फायदा होगा। दरअसल, लगातार गन्ना किसानों की ओर से दाम बढ़ाए जाने की मांग चल रही थी। सरकार ने भी आखिरकार गन्ना किसानों की मांग पर फैसला ले लिया। इस बढ़ोतरी से गन्ना किसानों को लगभग 3,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान होगा। सरकार के इस निर्णय से न केवल गन्ना किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण अर्थतंत्र में नई ऊर्जा भी भरेगी।
अब तक 2,90,225 करोड़ रुपए का भुगतान
इस संबंध में यूपी सरकार के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि योगी सरकार ने एक बार फिर गन्ना किसानों के हित में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि गन्ना किसान केवल उत्पादक नहीं, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था के सशक्त स्तंभ हैं। लक्ष्मी नारायण ने बताया कि गन्ना किसानों को अब तक 2,90,225 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। साल 2007 से 2017 के बीच सपा और बसपा सरकारों में किसानों को कुल मात्र 1,47,346 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ था। इस प्रकार सरकार ने मात्र साढ़े 8 सालों में पिछली सरकारों के मुकाबले 1,42,879 करोड़ रुपए अधिक भुगतान कर नया इतिहास रचा है।
मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 122 चीनी मिलें संचालित हैं, जिससे प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में जहां 21 मिलें औने-पौने दामों पर बेची गई थीं। वहीं सरकार के पारदर्शी प्रबंधन और निवेशोन्मुख नीतियों से इस उद्योग में 12,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित हुआ है। पिछले 8 सालों में 4 नई चीनी मिलें स्थापित की गईं है। जबकि 6 बंद मिलो को फिर से शुरू किया गया है और 42 मिलों की उत्पादन क्षमता में विस्तार हुआ है।

