मानसिक तनाव का शिकार पुरुष ही नहीं महिलाएं भी हो रही हैं

मानसिक तनाव आज एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रही है। इसका शिकार कोई खास उम्र के लोग ही नहीं हैं, बल्कि सभी उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसकी शिकार की बढ़ रही संख्या में पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इस समस्या की चपेट में हैं। प्रतिस्पर्धाओं के चलते युवा वर्ग भी इससे अछूता नहीं रह गया है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हर साल पूरे विश्व में 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस सम्बन्ध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भी जारी किया है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह 7 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस वर्ष इसकी थीम है- “वर्किंग टूगेदर टू प्रवेन्ट सुसाइड” (आत्महत्या को रोकने के लिए मिलकर काम करना)। आगे उन्होंने कहा कि आज की भाग दौड़ वाले जीवन में आगे निकलने की होड़ ने एक नई स्वास्थ्य समस्या को जन्म दिया है और वह है मानसिक तनाव। यह तनाव न केवल हमें ही प्रभावित करता है, बल्कि हमारे आस-पास रहने वाले लोग, परिवार के सदस्य भी इससे प्रभावित होते हैं।

उन्होंने कहा आज यह समस्या केवल हमारी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक समस्या बन गई है। तनाव अन्य कई तरह की बीमारियों जैसे उच्च या निम्न रक्तचाप, माइग्रेन, चिड़चिड़ापन, ह्रदय से जुड़ी समस्याओं को जन्म देता है। कभी-कभी तो यह स्थिति हो जाती है कि व्यक्ति आत्महत्या भी कर लेता है। इसलिए हमें इस बात के लिए लोगों को जागरूक करना है कि तनाव किसी भी समस्या का हल नहीं है।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आर.के. चौधरी ने बताया कि इस दिवस की थीम के अनुसार हमारा फोकस आत्महत्या पर ही रहेगा। तनाव से न केवल वयस्क ही ग्रस्त हैं बल्कि आज कल के बच्चे भी इसकी चपेट में आ गए हैं। अक्सर अखबारों में बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें पढ़ने में आ रही हैं।

इसका मुख्य कारण अभिभावकों द्वारा बच्चों पर अच्छे नंबर लाने के लिए व अपने साथियों से आगे निकलने के लिए दबाव डालना है। स्कूलों में भी अव्वल व मध्यम दर्जे के बच्चों की कक्षाओं को अलग कर दिया जाता है, ऐसे में बच्चों में ही भावना घर कर लेती है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए जिले में हमने 60 स्कूलों के नोडल शिक्षकों का प्रशिक्षण को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में आयोजित किया जाएगा।

वहीं उनका कहना है कि 60 स्कूलों में 50% सरकारी स्कूल व 50% प्राइवेट स्कूल के शिक्षक प्रतिभाग करेंगे। शिक्षकों को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा कि उन्हें किस प्रकार ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका इलाज करना है। साथ ही स्कूलों में हेल्थ क्लब का गठन कर ऐसे बच्चों को लाइफ स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। 10 अक्टूबर को सिटी मान्टेसरी स्कूल, गोमतीनगर में बच्चों व शिक्षकों के साथ इस विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही हम शिक्षक अभिभावक बैठक में भी इस विषय पर कार्यशाला का आयोजन करेंगे।

साथ ही कहा गया है कि इस सप्ताह में जिले की सभी स्वास्थ्य सुविधाओं पर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता रैली व मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मानसिक रोगों व तनाव से बचने के लिए लोगों को उपाय बताए जाएंगे और इलाज किया जाएगा। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 1992 में मनाया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और वल्र्ड फेडरेशन ऑफ मेंटल हेल्थ द्वारा मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने और अपने मन का आत्मनिरीक्षण करके अपने व्यक्तित्व के विकारों और मानसिक विकृतियों को सक्रिय रूप से पहचानने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 350 मिलियन से अधिक लोग मानसिक अवसाद से ग्रस्त हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1