यूक्रेन के ड्रोन अटैक के बाद रूस में गुस्से का माहौल है। एक तरफ जहां तुर्की में रूस और यूक्रेन, समझौते के लिए बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर दोनों देश एक दूसरे पर बड़े-बड़े हमले कर रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि ट्रंप की समझौते वाली रणनीति फेल हो गई है और दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ी है।
रूस पर यूक्रेन ने जंग के शुरू होने के बाद से सबसे बड़ा हमला बोला है। यह पहली बार है जब यूक्रेन ने रूस के अंदर से ही हमले को अंजाम दिया है। अब सवाल ये है कि जब रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत हो रही थी, शांति समझौते की बात चल रही थी, तब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ऐसा क्यों किया, वो भी सीधे रूस के अंदर घुसकर। दुनिया को मालूम है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपने आक्रमक रवैये के लिए जाने जाते हैं, ऐसे में यह उम्मीद करना कि पुतिन इस हमले से डर जाएंगे और यूक्रेन की शर्तों पर समझौते के लिए तैयार हो जाएंगे तो ये असंभव सा ही लगता है।
हमले के बाद जेलेंस्की दिखे गदगद
रूस के पांच एयरबेस पर हमला बोलने और सफलता पूर्वक 40 से ज्यादा रूसी बमवर्षक विमानों को ध्वस्त करने के बाद यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की काफी खुश दिख रहे हैं। शाबासी दे रहे हैं। यूक्रेन साफ कर चुका है कि इस हमले की तैयारी जेलेंस्की की देख रेख में हुआ था। हमले के बाद जेलेंस्की ने कहा कि एसबीयू सुरक्षा सेवा द्वारा “स्पाइडर वेब” ऑपरेशन में 117 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिससे “रूस के 34% सामरिक क्रूज मिसाइल वाहकों” पर हमला किया गया। जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि यह एक बार की कार्रवाई नहीं है, उन्होंने चेतावनी दी कि यूक्रेन के चल रहे अभियान के हिस्से के रूप में इसी तरह के अभियान जारी रहेंगे।
पुतिन झुकेंगे या बदला लेंगे?
यूक्रेन के इस हमले को रूस ने आतंकवादी हमला करार दिया है। रूस में इस अटैक की तुलना पर्ल हार्बर अटैक से की जा रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान ने अमेरिका के हवाई में पर्ल हर्बर में अमेरिकी नौसेना के बेस पर हमला कर दिया था। एक के बाद दर्जनों जापानी लड़ाकू विमानों ने बमों की बारिश की थी, जिससे दो घंटे के अंदर 21 अमेरिकी युद्धपोत डूब गए या फिर क्षतिग्रस्त हो गए, 188 एयरक्राफ्ट तबाह हो गए और 2,403 अमेरिकी सैनिक और महिलाओं की मौत हो गई थी। इसी भयानक हमले से यूक्रेनी हमले की तुलना हो रही है, हालांकि रूस के बॉम्बर नष्ट तो हुए हैं, लेकिन हताहतों की संख्या अभी तक सामने नहीं आई है। अब कहा ये जा रहा है कि पुतिन, यूक्रेन के सामने शायद ही झुकें, वो यूक्रेन पर और बड़ा पलटवार करेंगे। यूक्रेन पर पलटवार के रूप में पुतिन परमाणु हमले का भी आदेश दे सकते हैं।
शांति समझौते पर खतरा
यूक्रेन के इस हमले के बाद तुर्की में हो रहे शांति समझौते पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधि शांति वार्ता के लिए मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन इस हमले के बाद इसका असर कम ही होने की संभावाना है। रूस पहले से ही काफी आक्रमक हो रखा है, अब यूक्रेन के इस हमले ने इस जंग को एक अलग ही दिशा में मोड़ दिया है।
ट्रंप की रणनीति फेल
ट्रंप को सत्ता में आए हुए कई महीने हो चुके हैं। चुनाव के दौरान ट्रंप कहते फिरते थे कि वो रूस-यूक्रेन जंग को 24 घंटे के अंदर खत्म करवा देंगे। ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद कोशिश भी की। यूक्रेन को धमकाया, जेलेंस्की को सीधे-सीधे मीडिया के सामने डांट दिया, इसके बाद भी यूक्रेन अड़ा रहा। ट्रंप ने समझौते के लिए पुतिन से सीधे बात की। दावा किया कि समझौता होने वाला है। समझौता तो हुआ नहीं, अटैक और जरूर बढ़ गए। ट्रंप की धमकी न तो रूस को झुका पाई और न ही यूक्रने को।
तीसरे विश्वयुद्ध का कितना खतरा
हाल ही में ट्रंप की धमकी के बाद रूस ने तीसरे विश्वयुद्ध की चेतावनी दी थी। जाहिर है कि यूक्रेन अपने दम पर रूस के सामने कहीं नहीं टिकता है। यूक्रेन ने यह जंग अमेरिका और यूरोपीय देशों के भरोसे ही शुरू किया था। पैसे से लेकर हथियार तक यूक्रेन को यहीं से मिल रहे हैं। वहीं रूस के साथ चीन और नॉर्थ कोरिया सीधे तौर पर खड़ा है। नॉर्थ कोरिया ने तो अपने सैनिक भी भेज रखे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया एक ऐसे मुहाने पर खड़ी है, जहां एक गलती सीधे तीसरा विश्वयुद्ध शुरू करवा सकती है।

