“Dhaniya’s Significance on Dhanteras”, धनतेरस बस कुछ ही दिनों में आने वाला है. धनतेरस दिवाली का पहला दिन होता है. इसी दिन से 5 दिन की दिवाली की शुरूआत होती है. धनतेरस पर लोग सोने, चांदी से लेकर और भी चीजें खरीदते हैं. जैसे- झाडू, नमक, साबुत धनिया, हल्दी, खीलें, गट्टे, और भी न जानें क्या-क्या. लेकिन क्या आप जानते हैं दिवाली पर साबुत धनिया (धनिया बीज) लाने की परंपरा का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से विशेष महत्व है. तो देर किस बात की चलिए जानते हैं.
धार्मिक महत्व:
समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक:
धनिया बीज को समृद्धि, स्वास्थ्य, और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. जैसे ये बीज भोजन में स्वाद और सुगंध जोड़ते हैं, वैसे ही इन्हें जीवन में खुशहाली और मिठास लाने वाला माना जाता है.
माता लक्ष्मी का स्वागत:
धनतेरस पर देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा होती है. धनिया बीज को घर में लाना धन और स्वास्थ्य की देवी का स्वागत करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है.
नववर्ष की शुरुआत का संकेत:
कुछ परंपराओं में धनिया बीज को अगले वर्ष की खेती और समृद्धि का संकेत माना जाता है. इन्हें घर में लाकर पूजा के बाद बोया भी जाता है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
स्वास्थ्य लाभ:
धनिया बीज में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, और पाचन सुधारक गुण होते हैं. इन्हें घर में लाने और उपयोग करने से स्वास्थ्य लाभ होता है.
प्राकृतिक संरक्षण:
धनिया बीज को सुखाकर रखने से यह कीटों को दूर रखने में मदद करता है. यह एक प्रकार का प्राकृतिक कीट-निवारक भी है.
धनतेरस पर अन्य वस्तुएं जैसे झाड़ू, हल्दी, नमक भी क्यों खरीदी जाती हैं?
झाड़ू: नकारात्मकता को हटाने और साफ-सफाई का प्रतीक.
हल्दी: शुभता और स्वास्थ्य का प्रतीक.
नमक: जीवन में संतुलन और स्वाद का प्रतीक.
सभी वस्तुएं मिलकर एक शुभ और सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद करती हैं, जिससे देवी लक्ष्मी का वास हो सके.

