कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट (Coronavirus Delta Variant) अब तक दुनिया के 124 देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को यह जानकारी दी। WHO ने कहा कि SARS-Cov-2 के इन नए वेरिएंट की दुनिया भर में अभी कुछ महीनों तक बने रहने की आशंका है। संगठन ने कहा कि तेजी से फैलने वाले इस वेरिएंट के शुरुआती मामले भारत में पाए गए थे। वेरिएंट ऑफ कंसर्न में शामिल इस वायरस के फैलने का कारण सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में ढिलाई और वैक्सीन का असमान वितरण को माना जा रहा है।
WHO ने कहा कि ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वायरस का ये प्रकार पिछले अन्य प्रकार को पीछे छोड़कर आने वाले समय में सबसे ज्यादा फैलने वाला वेरिएंट बन जाएगा। कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट दुनिया भर में कहर बरपा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, सिंगापुर, इंडोनेशिया, रूस और चीन सहित कई देशों में कोरोनोवायरस के इस संस्करण के करीब 75% से अधिक मामले हैं।
अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 83% मामले वेरिएंट ऑफ कंसर्न के हैं, जो बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के जरिए हुए फायदे को कम कर सकता है।
पिछले हफ्ते, इंडोनेशिया में ब्रिटेन, ब्राजील, भारत और अमेरिका के बाद COVID-19 के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। प्रति व्यक्ति कोरोनोवायरस मामलों में चिंताजनक वृद्धि के बावजूद, ब्रिटेन ने लगभग सभी प्रतिबंधों को हटा दिया है, इससे विशेषज्ञों ने देश को नजदीकी खतरे के बारे में चेतावनी दी है।
बता दें भारत में COVID-19 की दूसरी लहर के लिए कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप मुख्य रूप से जिम्मेदार था जिसके कारण संक्रमण के 80 प्रतिशत से ज्यादा नए मामले सामने आए थे। ‘सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम’ के सह अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगर वायरस का कोई अधिक संक्रामक स्वरूप आता है तो संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं।
वायरस का डेल्टा स्वरूप, अपने पूर्ववर्ती अल्फा स्वरूप से 40-60% ज्यादा संक्रामक है और ब्रिटेन, अमेरिका तथा सिंगापुर समेत 80 से ज्यादा देशों में पहले ही फैल चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, डॉ अरोड़ा ने कहा कि ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप (एवाई.1 और एवाई.2) अब तक महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश समेत 11 राज्यों में सामने आए 55-60 मामलों में पाया गया है।
उन्होंने कहा कि अभी वायरस के इस स्वरूप की संक्रामक क्षमता और टीके के इस पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “COVID-19 के ‘B1.617.2’ स्वरूप को डेल्टा वायरस के नाम से जाना जाता है। पहली बार भारत में अक्टूबर 2020 में इसका पता चला था। देश में दूसरी लहर के लिए यह मुख्य रूप से जिम्मेदार है। आज COVID-19 के 80% से ज्यादा मामले इसके कारण सामने आ रहे हैं।”

