शाही परिवार हमेशा से ही किसी देश की परंपरा, संस्कृति और इतिहास का जरूरी हिस्सा रहे हैं. जापान का शाही परिवार दुनिया के सबसे पुराने राजतंत्रों में से एक है, जिसकी शुरुआत कई सदियों पहले हुई थी. इस परिवार में सदियों से एक परंपरा चली आ रही है कि सिर्फ पुरुष ही सिंहासन पर बैठ सकते हैं. हालांकि जापान की सम्राट की पत्नी महारानी बन सकती है, लेकिन खुद शासन करने वाली महिला सम्राट नहीं बन सकती है. वहीं, भारत के कई राज्यों और साम्राज्यों में, राजा अपने राज्य और सिंहासन का अधिकार बेटे या अन्य योग्य व्यक्ति को दे सकते थे, और कुछ मामलों में महिलाएं भी शासन कर सकती थीं. ऐसे में आइए आज जानते हैं कि जापान में कौन महिला महारानी बन सकती है और भारत में यह पद राजा कैसे देते थे?
जापान में कौन महिला महारानी बन सकती है?
जापान का शाही परिवार आज भी 1947 में बने शाही परिवार कानून के अनुसार चलता है. इस कानून के तहत सिर्फ पुरुष शाही सदस्य ही सम्राट (Emperor) बन सकते हैं. इसका मतलब यह है कि अगर सम्राट की संतान लड़की है, तो वह कभी राजा नहीं बन सकती है. लेकिन अगर कोई महिला सम्राट से शादी करती है, तो वह महारानी (Empress Consort) बन सकती है. इसका मतलब है कि वह सम्राट की पत्नी के रूप में सम्मानित होती है, लेकिन शासन करने का अधिकार उसके पास नहीं होता हैं. इतिहास में जापान में कई महिला सम्राट रही हैं, जैसे महारानी कोकेन, जिन्होंने शासन किया था. लेकिन ये सभी पुराने समय के हैं, जब आधुनिक कानून लागू नहीं हुआ था. 1947 के बाद, महिलाओं को सिंहासन पर बैठने का अधिकार नहीं है.
जापान में शाही परिवार कानून के नियम क्या हैं?
शाही परिवार कानून के कुछ मुख्य नियम हैं. जैसे सिर्फ पुरुष शाही सदस्य ही राजा बन सकते हैं, राजकुमारी अगर किसी आम व्यक्ति से शादी करती है, तो उसे अपना शाही खिताब छोड़ना पड़ता है और राजकुमार किसी आम महिला से शादी कर सकता है, और उनके बच्चे को उत्तराधिकार का अधिकार मिलता है. हाल के वर्षों में इस कानून पर सवाल उठते रहे हैं क्योंकि जापान में शाही परिवार की पुरुष संतान की संख्या बहुत कम है. 2006 में जन्मे राजकुमार हिसाहितो, शाही परिवार के एकमात्र संभावित पुरुष उत्तराधिकारी हैं. इससे यह बहस और तेज हो गई है कि महिलाओं को भी सिंहासन पर बैठने का अधिकार दिया जाना चाहिए.
भारत में यह पद राजा कैसे देते थे?
भारत का इतिहास बहुत बड़ा और अलग है. अलग-अलग राज्यों और साम्राज्यों में राजा अपने राज्य और सिंहासन का अधिकार देने के कई तरीके अपनाते थे. भारत में महिलाओं को रानी बनने के दो मुख्य तरीके मिलते थे. जिसमें ज्यादातर मामलों में, किसी महिला को रानी बनने का अधिकार राजा से विवाह के माध्यम से मिलता था. वह राजा की पत्नी के रूप में दरबार और राज्य में सम्मानित होती थी. कुछ मामलों में महिलाएं सीधे शासन कर सकती थीं, विशेषकर तब जब पुरुष उत्तराधिकारी नहीं होते थे या महिला की अपनी क्षमताएं शासन के लिए उपयुक्त मानी जाती थीं. इसके लिए अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जाती थीं. जैसे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने पति की मृत्यु और संकट के दौरान राज्य की रक्षा और शासन किया. इसके अलावा कश्मीर की डिड्डा और कई राजपूत रानियों ने भी अपने अधिकार से राज्य चलाया.

