क्यों अलग होना चाहता है बलूचिस्तान, BLA क्या है? जानें पाकिस्तान के अवैध कब्जे और बलोच आंदोलन की पूरी कहानी

पाकिस्तान में अलग बलूचिस्तान की मांग आजादी जितनी ही पुरानी है। अपनी मांगों के समर्थन में बलोच लिब्रेशन आर्मी अक्सर पाकिस्तानी सेना को निशाना भी बनाती रहती है। आखिर क्यों पाकिस्तान से अलग होना चाहता है बलूचिस्तान? BLA क्या और कौन हैं? कैसे पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर अवैध कब्जा किया? चलिए जानते हैं सब कुछ –

पाकिस्तान का दक्षिण पश्चिमी हिस्सा यानी बलूचिस्तान पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है। खासतौर पर यह इलाका पाकिस्तान की सेना के लिए किसी कब्रगाह से कम नहीं है। कल यानी 7 मई को ही पाकिस्तानी सेना के एक वाहन को बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (BLA) ने धमाके से उड़ा दिया। इसमें पाकिस्तान के 12 सैनिक मारे गए। हाल के दिनों में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर थमाका, पूरी ट्रेन को हाईजैक करने जैसी घटनाओं को भी बलोचों ने अंजाम दिया है। हाल के दिनों में BLA ने ऐसी ही कई घटनाओं को अंजाम दिया है, जिससे पाकिस्तान की सेना को काफी नुकसान हुआ है। आखिर कौन और क्या है BLA? क्यों यह पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ हथियार उठाए हुए है? भारत और पाकिस्तान से भी पहले अंग्रेजों से आजादी पाने वाला बलूचिस्तान आखिर कैसे पाकिस्तान का हिस्सा बना और क्यों आज आजादी के लिए छटपटा रहा है। चलिए जानते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर –

क्या है BLA?

इस प्रश्न के कई उत्तर हैं। बलूचिस्तान के लोगों के लिए बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी और उसके लोग आजादी के सिपाही हैं। पाकिस्तान, चीन, ईरान और कुछ अन्य देशों के लिए BLA एक आतंकवादी संगठन है। जबकि दुनिया के कई देश इसे सिर्फ अलगाववादी संगठन के तौर पर देखते हैं। बलूचिस्तान के लोग अपने को पाकिस्तान से अलग मानते हैं। वह अपनी अलग पहचान के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अक्सर हथियार उठाते रहते हैं। बलूचिस्तान की पाकिस्तान से आजादी की मांग काफी पुरानी है।

कौन हैं BLA?

BLA पाकिस्तान से आजादी की चाह रखने वाले बलूचिस्तान के लोगों का संगठन है। इस संगठन की नींव साल 2000 में पड़ी थी। भले ही BLA का गठन 2000 में हुआ हो, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह 1973-1977 के दौरान आजाद बलूचिस्तान आंदोलन, बलोच स्टूडेंट यूनियन (BLO) से निकले लोगों का संगठन है।

क्यों पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ खड़ें हैं बलोच ?

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बलूचिस्तान के लोग स्वयं को पाकिस्तान के अन्य लोगों से अलग मानते हैं। वह लंबे समय से अलग देश की मांग कर रहे हैं। जबकि पाकिस्तान अपनी सेना के बल पर जबरन उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश करता है। अपनी मांगों को लेकर बलोच आंदोलनकारी पाकिस्तान में तमाम हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं। लेकिन पाकिस्तान की तरफ से शांतिपूर्ण विरोध को भी बर्बर तरीके से दबाया जाता है। उदाहरण 2006 का है, जब पाकिस्तान ने बलोच आंदोलनकारी नवाब अकबर बुग्ती की हत्या कर दी थी। बलोच समूचे बलूचिस्तान को अपना मानते हैं और वह यहां पर ग्वादर पोर्ट सिटी सहित तमाम परियोजनाओं का विरोध करते हैं। यही कारण है कि वह अक्सर यहां काम करने वाले चीनी नागरिकों पर भी हमला करते हैं।

क्यों आजादी के लिए छटपटा रहा है बलूचिस्तान?

बलूचिस्तान खनिज संपदा का खजाना है। यहां के खनिजों पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया हुआ है। बलूचिस्तान एक बहुत बड़ा भू-भाग है, लेकिन यहां पर जनसंख्या काफी कम है। पाकिस्तान यहां के खनिजों का दोहन तो करता है, लेकिन यहां के लोगों के विकास के लिए कुछ भी नहीं करता। खनिजों के ढेर पर बैठे बलोच लोग आज भी गरीबी और बदहाली में जीवन जी रहे हैं। यहां पर कोयला, क्रोमाइट, लौह अयस्क, संगमरमर और तांबे का खजाना है। इसके अलावा यहां पर चूना पत्थर और सोने के भंडार भी हैं। इन सब बेशकीमती खनिज के अलावा बलूचिस्तान में लेड, जिंक, जिप्सम और कई अन्य रत्न के भंडार भी हैं।

हमेशा से पाकिस्तान का हिस्सा नहीं था बलूचिस्तान

जी हां, बलूचिस्तान हमेशा से पाकिस्तान का हिस्सा नहीं था। बल्कि 11 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा की गई। वादे के अनुसार बलूचिस्तान को एक अलग देश बनना था। दरअसल आजादी के समय बलूचिस्तान चार अलग- अलग प्रांतों में बंटा हुआ था। जिनके नाम थे – कलात, मकरन, खारन और लास बेला। यह चार रियासतें सीधे तौर पर अंग्रेजी शासन के अंतर्गत नहीं आती थीं। इन रियासतों को उस समय आजादी दी गई कि वह भारत या पाकिस्तान में से किसी में भी शामिल हो सकते हैं या एक अलग देश भी बन सकते हैं।

मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में चार में से तीन रियासतों मकरन, खारन और लास बेला ने पाकिस्तान के साथ विलय कर लिया। लेकिन कलात ने स्वयं को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। मार्च 1948 में पाकिस्तान ने जबरन कलात को भी पाकिस्तान में मिला लिया। बलोच आज भी मानते हैं कि पाकिस्तान ने गैर- कानूनी तरीके से उनकी जमीन पर कब्जा किया था। इसीलिए वह आज भी अपनी जमीन के लिए पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहे हैं।

क्या अचानक बढ़ गई हैं BLA की गतिविधियां?

बलूचिस्तान अपनी आजादी के लिए 1948 से ही संघर्षरत है। उसकी छटपटाहट आज की नहीं है। पाकिस्तानी सेना उनके संघर्ष को अक्सर बर्बर तरीके से दबाती रही है। लेकिन बलोच आंदोलनकारियों ने अब अपनी रणनीति बदली है। वह सेना के खिलाफ हमलावर हैं और पाकिस्तान की स्थिति पहले के मुकाबले कमजोर हुई है। इसलिए अभी बलूचिस्तान की छटपटाहट ज्यादा दिख रही है। यही कारण है कि बलूचिस्तान लड़ाकों की खबरें दुनियाभर की मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई हैं।

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