यूपी में बच्चों की ‘रहस्यमय बीमारी’ का रहस्य खुला, अब तक 100 से ज़्यादा बच्चों की मौत

जहां एक ओर पूरा देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में इन दिनों कोरोना के बीच पूरा यूपी वायरल बुखार की जद में आ गया है। ऐसे में सरकार की नींद उड़ती नजर आ रही है।

इसकी शुरुआत फिरोजाबाद से हुई जहां पर डेंगू से 50 लोगों ने दम तोड़ दिया है। मामला काफी गम्भीर बताया जा रहा है। इतना ही नहीं जांच से पता चला है कि डेंगू की प्रजाति से बीमारी फैली है।

बताया जा रहा है कि विशेषज्ञों ने जांच की और तब नतीजे पहुंची है और कहा है कि वहां कूलर के पानी में बहुत ही खतरनाक रक्तस्रावी डेंगू की प्रजाति से बीमारी फैली है। ये

डेंगू इतना खतरनाक है कि बच्चों की प्लेटलेट्स को तेजी से कम कर देता है और जिसके बाद मौत की नींद सुला देता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पूरा यूपी अब इस वायरल बुखार के कहर से जूझ रहा है।

कौशल्यानगर मोहल्ले में शिवानी की तरह दर्जनों बच्चे तेज़ बुख़ार से पीड़ित हैं. कुछ को फ़िरोज़ाबाद के ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है लेकिन ज़्यादातर बच्चे घर में ही डॉक्टरों की बतायी कुछ दवाओं के सहारे ज़िंदा हैं. स्थानीय नागरिक बताते हैं की मोहल्ले में ऐसा कोई घर नहीं है जहां बच्चे बीमार न हों. अस्पताल में जगह ही नहीं है. कुछ बच्चों को भर्ती कर लिया गया लेकिन बाक़ी सब यहीं चारपाई पर पड़े हैं.

कौशल्यानगर फ़िरोज़ाबाद के उन मोहल्लों में से एक है जहां बुख़ार से सबसे ज़्यादा पीड़ित लोग हैं. पीड़ित लोगों में ज़्यादातर बच्चे ही हैं, हालांकि कुछ वयस्क भी बुख़ार से पीड़ित हैं और तीन वयस्कों की अब तक मौत हो चुकी है. जबकि मरने वाले बच्चों की संख्या पचास तक पहुंच चुकी है.

हालांकि अनाधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा बताई जा रही है. इसकी वजह यह है कि बहुत से बच्चों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई और सरकारी आंकड़ों में अब तक ये मौतें दर्ज नहीं हो सकी हैं.

दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुदामानगर का दौरा किया था और अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखते हुए बीमार लोगों के इलाज की हरसंभव व्यवस्था की जाए.

बुख़ार से न सिर्फ़ फ़िरोज़ाबाद ज़िला प्रभावित है बल्कि मथुरा, मैनपुरी, सहारनपुर, एटा, इटावा के अलावा कानपुर, फ़र्रुख़ाबाद और मेरठ में भी यह तेज़ी से फैल रहा है. मथुरा में बुख़ार से अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 12 बच्चे शामिल हैं.

राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में डेंगू से पीड़ित पांच सौ से ज़्यादा बच्चों का इलाज चल रहा है. ज़्यादातर जगहों पर अस्पतालों में बिस्तर की कमी है और बच्चों के परिजन उन्हें लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं.

फ़िरोज़ाबाद ज़िले में ज़िला चिकित्सालय को ही मेडिकल कॉलेज बना दिया गया है. कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए बच्चों के वॉर्ड को कोविड वॉर्ड के रूप में रिज़र्व रखा गया था लेकिन बेड की कमी के चलते इस वॉर्ड में भी अब बच्चों को भर्ती किया गया है.

हालांकि बीमार बच्चों के अस्पातल आने का सिलसिला भी जारी है. जिस वक़्त वो हमसे ये बात कर रही थीं, उसी वक़्त कुछ बच्चों के परिजन इस बात को लेकर नाराज़ हो रहे थे कि सुबह से वो बुख़ार से पीड़ित बच्चों को लेकर इधर से उधर घूम रहे हैं लेकिन कोई देखने वाला नहीं है.

इस बीच, फ़िरोज़ाबाद में ज़िलाधिकारी चंद्रविजय सिंह ने लापरवाही बरतने के आरोप में तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है. वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर का 11 सदस्यीय दल भी फ़िरोज़ाबाद पहुंच गया है जो बुख़ार के कारणों का पता लगा रहा है.

आईसीएमआर की टीम ने विभिन्न क्षेत्रों से लार्वा एकत्र किए हैं जिनकी जांच की जा रही है. टीम के सदस्य क्षेत्र में घूम कर बुखार से पीड़ित लोगों से बातचीत कर रहे है और उनके लक्षणों के आधार पर उनके नमूने लेकर कर उसके कारणों का भी पता लगा रहे हैं.

बीमारी के प्रसार को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को आगरा और फ़िरोज़ाबाद ज़िलों में ही कैंप करने के निर्देश दिए हैं.

लखनऊ से आई स्वास्थ्य विभाग की पांच सदस्यीय टीम के लीडर और स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त निदेशक डॉक्टर अवधेश यादव कहते हैं कि यह बात लगभग स्पष्ट हो गई है कि बुख़ार की वजह डेंगू ही है, इसलिए इसे रहस्यमयी बुख़ार नहीं कहा जाना चाहिए.

हालांकि कुछ अन्य जानकारों का कहना है कि डेंगू बुख़ार सिर्फ़ बच्चों को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि बड़ों को भी अपनी चपेट में लेता है.

आशंका यह भी जताई जा रही है कि बुख़ार की वजह मानसून के मौसम में पूर्वांचल के इलाक़ों में होने वाली जापानी इंसेफ़ेलाइटिस या एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम जैसी बीमारी भी हो सकती है. स्क्रबटाइफ़स के मामले पुष्ट होने के बाद इस आशंका को और बल मिला है लेकिन डॉक्टर अवधेश यादव इसे ख़ारिज करते हैं. स्क्रबटाइफ़स के कई मामले मथुरा से भी मिले हैं.

डॉक्टर यादव कहते हैं, “इंसेफ़ेलाइटिस का मुख्य लक्षण यह होता है कि यह बच्चों के दिमाग़ पर असर करता है और वो अजीबो-ग़रीब हरकतें करने लगता है या उसे झटके आने लगते हैं. लेकिन यहां जो भी बच्चे बुख़ार से पीड़ित हैं उनमें इस तरह के लक्षण नहीं दिखे हैं. बच्चों में इसलिए यह ज़्यादा असर कर रहा है क्योंकि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र उतना मज़बूत नहीं होता जितना कि वयस्कों का.”

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