समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद और माफिया डॉनअतीक अहमद ने अपनी सुरक्षा के लिए 1 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. अतीक ने दावा किया कि उसे और उसके परिवार को प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड मामले में आरोपियों के रूप में गलत तरीके से ‘शामिल’ किया गया है. अतीक ने अपनी याचिका में कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसे फर्जी मुठभेड़ में मारा जा सकता है. अतीक की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 मार्च यानि शुक्रवार को सुनवाई करने जा रहा है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच करेगी.
इस समय अहमदाबाद केंद्रीय जेल में बंद अहमद ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विधानसभा में दिये गये उस कथित बयान का हवाला दिया कि उसे पूरी तरह से मिट्टी में मिला दिया जायेगा और दावा किया कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को जान का वास्तविक और प्रत्यक्ष खतरा है.
अतीक ने अपनी याचिका में अपील की है कि इस बात की पूरी संभावना है कि उत्तर प्रदेश पुलिस उसकी ट्रांजिट रिमांड मांगेगी और उसे अहमदाबाद से प्रयागराज ले जाने के लिए पुलिस रिमांड भी मांगेगी और उसे ऐसी आशंका है कि इस ट्रांजिट अवधि के दौरान फर्जी मुठभेड़ में उसे मार गिराया जाये. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में 61 वर्षीय अहमद ने राज्य के उच्च पदाधिकारियों से उसके जीवन को खुले और प्रत्यक्ष खतरे से बचाने के लिए उसके जीवन की रक्षा करने के निर्देश केंद्र, उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य को देने का अनुरोध किया है.
याचिका में कहा गया है, उमेश पाल की हत्या के बाद, विपक्ष ने सदन में आग में घी डालने का काम किया और मुख्यमंत्री को यह कहने के लिए उकसाया कि..माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा और उस समय सदन में चर्चा याचिकाकर्ता पर ही चल रही थी. याचिका में आरोप लगाया गया है, याचिकाकर्ता (अहमद) वास्तव में इस बात को लेकर आशंकित है कि उसे उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किसी न किसी बहाने फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जा सकता है, विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी द्वारा सदन में दिये गये बयान को देखते हुए.
दरअसल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके पुलिस सुरक्षाकर्मी संदीप निषाद को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उमेश पाल 2005 में प्रयागराज में हुई हत्या के मामले में मुख्य गवाह था जिसमें अहमद और अन्य मुख्य आरोपी हैं. उमेश पाल हत्याकांड का एक आरोपी अरबाज पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. मुठभेड़ में धूमनगंज थाने के एसएचओ राजेश मौर्य भी घायल हो गए थे.