रूस-यूक्रेन के बीच शांतिवार्ता अब एक किनारे हो गई है और दोनों देश एक-दूसरे पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. रूस जहां अपने ड्रोन और मिसाइलों से रातभर यूक्रेन के शहरों को सोने नहीं देता, वहीं यूक्रेन अपने कम लागत वाले हथियारों से रूस को चौंका रहा है. एक बार फिर यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि उसके दो सस्ते ड्रोन ने रूस के महंगे पुलों को उड़ा दिया है. ये कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की गई और दिलचस्प ये है कि इसके लिए यूक्रेन ने अपने बारूद का भी उपयोग नहीं किया है.
खार्किव इलाके की सीमा से लगे इन पुलों का इस्तेमाल रूस की सेना सैनिकों की रसद आपूर्ति के लिए करती थी, ऐसे में तत्काल उसके लिए ये बड़ा झटका है. इस ऑपरेशन को यूक्रेन की 58वीं सेपरेट मोटराइज्ड इंफैंट्री ब्रिगेड ने अंजाम दिया है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुातबिक यूक्रेन ने इस मिशन के लिए बेहद सस्ते फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन का इस्तेमाल किया, जो फाइबर ऑप्टिक्स से लैस होते हैं.
रूसी सेना के हथियार से उड़ाए पुल
यूक्रेन इस युद्ध में तरह-तरह की योजनाओं का इस्तेमाल करता है. यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक रूस ने पुल से नीचे एंटी टैंक माइंस और गोला-बारूद का विशाल ढेर छिपाकर रखा था. जैसे ही रूस ने फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन के जरिये ये देखा, उन्होंने हमला कर दिया. ये हमला बेलगोरोड इलाके में हुआ. पहले विस्फोट के बाद यूक्रेनी सेना ने दूसरे पुल की भी जांच की और जैसे ही उन्हें माइंस यानि बारूदी सुरंगे मिलीं, उन्होंने इसे भी तबाह कर दिया. दरअसल रूस की ओर से ये सुरंगे यूक्रेनी सैनिकों के लिए बिछाई गई थीं, जो आगे बढ़ने की हालत में उन्हें उड़ा देतीं लेकिन यहां उनका ये हथियार और प्लान उल्टा पड़ गया.
महज 52000 रुपये के ड्रोन से हो गया काम
जब से यूक्रेन को इस युद्ध को लड़ने के लिए महंगे हथियारों की कमी होने लगी है, उसने अपना ध्यान पुराने हथियारों को मॉडिफाई करने और ड्रोन बनाने की ओर से लगा दिया है. कुछ प्राइवेट कंपनियां भी ड्रोन बनाने के काम में लगी हैं, जिनकी कीमत महज 600-700 डॉलर तक होती हैं. ऐसे में इससे यूक्रेन का नुकसान कम होता है. इस बार भी जो ड्रोन इस्तेमाल हुए उनकी कीमत 600 से 725 डॉलर यानि हद से हद 53000 रुपये तक थी. आमतौर पर पुलों को उड़ाने के लिए बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल होता है,