Muslim festival

Eid Al Adha 20222: आज धूमधाम से मनाया जा रहा है बकरीद का त्योहार,जानिए इस पर्व पर दी गई कुर्बानी की कहानी

Bakrid 2022 in India: आज पूरे देश में धूमधाम से बकरीद (Bakrid) का त्योहार मनाया जा रहा है। बकरीद (Bakrid) के त्योहार का मुस्लिम धर्म (Muslim Religion) में बहुत महत्व है। इस त्योहार को ईद-उल-अजहा या कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। रमजान (Ramadan) के पवित्र महीने के ठीक 70 दिन बाद बकरीद (Bakrid) मनाई जाती है। वैसे तो बकरीद की तारीख चांद दिखने से तय होती है, पूरे भारत में आज बकरीद मनाई जाएगी मनाई जा रहा है।

ईद उल अजहा (Eid al-Adha) या बकरीद (Bakrid) इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे जोश के साथ मनाते हैं। बकरीद (Bakrid) इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने में मनाया जाता है। ये रमजान का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद मनाया जाता है। इस दिन नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी दी जाती है। बकरीद (Bakrid) के त्योहार को बकरीद, ईद कुर्बान, ईद-उल अजहा (Eid al-Adha) या कुर्बान बयारामी भी कहा जाता है। इस मौके पर दिल्ली की जामा मस्जिद पर नमाज अदा की गई जिसमें भारी संख्या में नमाजी पहुंचे।

पुलिस की निगरानी में उदयपुर में मनेगी ईद, चप्पे-चप्पे पर तैनाती

उदयपुर में कन्हैयालाल के हत्याकांड के बाद फिर से माहौल खराब ना हो इसके लिए पुलिस-प्रसाशन के मुखिया सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। उदयपुर में 28 जून को कन्हैया लाल के निर्मम हत्या कांड के बाद फिलहाल शांति बनी हुई है लेकिन सब के माथे पर एक ही चिंता की लकीर है कि कोई अनहोनी घटना नहीं हो जाए। यहां भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है और चप्पे चप्पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

बकरीद का इतिहास

इस्लाम (Islam) के अनुसार, किसी समय अल्लाह के एक पैंगबर (Prophet) हुए हजरत इब्राहिम। वे हमेशा अल्लाह के दिखाए सच्चाई के रास्ते पर चलते थे। वे सभी से प्रेम करते थे और दूसरे लोगों को भी अल्लाह के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। एक दिन उन्हें सपने में अल्लाह ने आकर अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया। हजरत इब्राहिम (Hajrat Ibrahim) को अपना बेटा इस्माईल सबसे ज्यादा प्यारा था। हजरत साहब ने उसे ही कुर्बान करने का फैसला किया। बेटे की कुर्बानी देते समय उनका हाथ न रुक जाए, इसलिए पैंगबर ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर छुरी चलाई और जब पट्टी हटाई तो इस्माईल सही-सलामत था और उसकी जगह एक भेड़ पड़ा था। तभी से कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई जो आज भी निभाई जा रही है।

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