Surya Grahan Kab Lagega: 21 सितंबर रविवार को सूर्य ग्रहण लगने वाला है. यह साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण होगा. यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण है, जो आश्विन अमावस्या के दिन लग रहा है. इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं. इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 24 मिनट है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है और इसका समापन सूर्य ग्रहण के खत्म होने के साथ होता है. आइए जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कब लगेगा? सूर्य ग्रहण का प्रारंभ और समापन कब होगा? यह सूर्य ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा?
सूर्य ग्रहण कब लगेगा?
साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात में 10 बजकर 59 मिनट पर लगेगा. इस समय से सूर्य ग्रहण का प्रारंभ होगा. उस समय आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि होगी. अमावस्या 22 सितंबर को 01:23 एएम तक है. शास्त्रों के अनुसार, सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन लगता है, जबकि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को लगता है.
सूर्य ग्रहण का समापन
इस बार का सूर्य ग्रहण लगभग साढ़े 4 घंटे तक रहेगा. 10:59 पीएम से शुरू होने वाले सूर्य ग्रहण का समापन 22 सितंबर दिन सोमवार को तड़के 3:23 एएम पर होगा. ग्रहण के समापन के समय आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी. प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को 01:23 एएम से शुरू है. सूर्योदय के बाद शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होगा.
सूर्य ग्रहण का चरम बिंदू
यह सूर्य ग्रहण 22 सितंबर को 01:11 एएम पर अपने चरम पर होगा. करीब सवा दो घंटे बाद ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा. इस समय में लोग सो रहे होंगे. ऐसे में सुबह उठकर आप स्नान, दान आदि करें.
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के प्रारंभ से 12 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है. सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं करते हैं, इसमें गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना होता है. सूर्य ग्रहण रात में 10:59 बजे लग रहा है तो इसका सूतक काल सुबह में 10:59 बजे से लग जाना चाहिए.
भारत में लगेगा सूतक?
दरअसल यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इस वजह से इसका सूतक काल नहीं लगेगा. सूतक काल के नियम लागू नहीं होंगे. लेकिन सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी 12 राशियों पर होगा. यह सूर्य ग्रहण कुछ राशियों के लिए शुभ होगा तो कुछ राशियों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा.
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?
यह सूर्य ग्रहण अन्टार्कटिका, न्यूजीलैण्ड, समीपवर्ती दक्षिण प्रशान्त क्षेत्रों में देखा जा सकेगा. ऑस्ट्रेलिया में भी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. भारत में यह दृश्य नहीं होगा.
सूर्य ग्रहण क्यों लगता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब लगता है, जब पाप ग्रह राहु और केतु उसका ग्रास करने के लिए आते हैं. ऐसे समय को अशुभ माना जाता है, इस वजह से इसमें कोई शुभ काम नहीं करते हैं और भगवत भजन करते हैं. हालांंकि मंदिरों के कपाट तक बंद कर देते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब चंद्रमा परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पड़ता है, इसे घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं.